जानें बंगाल में दीदी ने छह महीने में कैसे बदली हार से जीत की फिजा

फिलहाल राज्य में मिली इस हार के लिए भाजपा ने एनआरसी को जिम्मेदार ठहराया है। भाजपा का कहना है कि ममता बनर्जी सरकार ने राज्य में एनआरसी को गलत तरीके से प्रचारित और प्रसारित किया है। जिसका असर उपचुनाव में पड़ा है। जिस तीन सीटों पर उपचुनाव हुए थे।

Learn how Didi in Bengal won the victory in six months

कोलकाता। पश्चिम बंगाल की तीन सीटों में हुए उपचुनाव में पश्चिम बंगाल की तीनों सीटों पर राज्य की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। इन सीटों पर मतदान हुए थे और ये भाजपा के लिए बड़ा झटका माने जा रहे हैं। क्योंकि छह महीने पहले ही भाजपा ने राज्य में 18 लोकसभा की सीटों को जीत कर दीदी को झटका दिया था।

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फिलहाल राज्य में मिली इस हार के लिए भाजपा ने एनआरसी को जिम्मेदार ठहराया है। भाजपा का कहना है कि ममता बनर्जी सरकार ने राज्य में एनआरसी को गलत तरीके से प्रचारित और प्रसारित किया है। जिसका असर उपचुनाव में पड़ा है। जिस तीन सीटों पर उपचुनाव हुए थे। उसमें एक सीट भाजपा के कब्जे में थी जबकि एक सीट कांग्रेस के विधायक के निधन होने और दो सीटों सीटों पर विधायकों के सांसद चुने के बाद उपचुनाव हुए थे।

आज उपचुनाव के परिणाम के बाद कलियागंज सीट से भाजपा के प्रत्याशी ने कमल चंद्र सरकार ने साफ कहा कि एनआरसी को लेकर फैले भ्रम के कारण पार्टी को हार मिली है। ममता बनर्जी एनआरसी को राज्य की जनता के खिलाफ बता रही है। जिसके कारण डर का माहौल है। असल में टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी कह चुकी हैं कि बंगाल में एनआरसी को किसी भी कीमत पर लागू नहीं करने दिया जाएगा। फिलहाल राज्य में ये उपचुनाव भाजपा और प्रदेश की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं थे।

राज्य में उपचुनाव मेदिनीपुर जिले की खड़गपुर, नदिया जिले की करीमपुर और उत्तर दिनाजपुर की कालियागंज सीटों पर हुए थे। कालियागंज सीट कांग्रेस विधायक प्रमथनाथ राय के निधन और जबकि खड़गपुर सीट में चुनाव भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष के लोकसभा और करीमपुर की तृणमूल विधायक महुआ मित्रा के कृष्णनगर संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद खाली हुई थी।
 

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