पिछले कुछ समय से दुनिया भर में अलग थलग पड़ चुके इमरान खान मुस्लिम देशों को एक जुट करने में जुटे थे। खासतौर से कश्मीर से अनुच्छेद 370 के बाद इमरान खान ने मुस्लिम देशों को भारत के खिलाफ खड़ा करने की कोशिश की थी। लेकिन महज तुर्की और मलेशिया को छोड़कर किसी भी देश ने इमरान का साथ नहीं दिया।
नई दिल्ली। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। एक तरफ वह अपने देश में ही घिरे हैं। वहीं भारत ने उनकी मुस्लिम राजनीति को एक तरह से खत्म कर दिया है। इमरान खान खुद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुस्लिम का रहनुमा साबित करने की कोशिश करने में लगे थे। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इमरान खान नियाजी की अंतरराष्ट्रीय स्तर मुस्लिम राजनीति खत्म कर दी है और इसके लिए भारत के करीबी माने जाने वाले सऊदी अरब ने मदद की।
पिछले कुछ समय से दुनिया भर में अलग थलग पड़ चुके इमरान खान मुस्लिम देशों को एक जुट करने में जुटे थे। खासतौर से कश्मीर से अनुच्छेद 370 के बाद इमरान खान ने मुस्लिम देशों को भारत के खिलाफ खड़ा करने की कोशिश की थी। लेकिन महज तुर्की और मलेशिया को छोड़कर किसी भी देश ने इमरान का साथ नहीं दिया। हालांकि इमरान खान ने कुछ समय पहले ऐलान किया था कि तुर्की और मलेशिया के साथ वह एक चैनल शुरू करेंगे। जो दुनियाभर में इस्लाम का प्रचार करेगा। इमरान खान को लग रहा था कि वह इसके जरिए पूरी दुनिया में मुस्लिमों के नेता बन जाएंगे और मुस्लिम राजनीति से सऊदी अरब को किनारे कर देंगे।
लिहाजा कभी पाकिस्तान के दोस्त कहे जाने सऊदी अरब ने इमरान खान को चेताया कि वह मुस्लिम राजनीति में खुद को स्थापित करने की कोशिश भी न करे। दो दिन पहले ही मलेशिया में मुस्लिम देशों की बैठक हुई थी जिसमें इमरान खान को भी बुलाया गया। लेकिन सऊदी अरब के प्रिंस की धमकी के बाद इमरान खान ने मलेशिया जाने का कार्यक्रम टाल दिया। सऊदी प्रिंस ने साफ तौर पर इमरान खान से कह दिया कि अगर उन्होंने मलेशिया की बैठक में हिस्सा लिया तो उससे दोस्ती खत्म हो जाएगी। यही नहीं सऊदी में काम कर रहे पाकिस्तान के 40 लाख कामगारों को पाकिस्तान को वापस भेज दिया जाएगा।
असल में पिछले पांच साल के दौरान भारत और सऊदी अरब के बीच रिश्ते काफी अच्छे हुए। पिछली बार पीएम मोदी की अरब यात्रा के दौरान उन्हें सऊदी अरब के सबसे बड़े नागरिक सम्मान से नवाजा गया था। जबकि अभी तक पाकिस्तान के पीएम को ये सम्मान नहीं मिला है। वहीं कश्मीर से 370 हटाने के बाद सऊदी अरब ने इसे भारत का आंतरिक मामला बताया था। जबकि इमरान खान दो बार भाग कर सऊदी प्रिंस के पास पहुंचे और इस्लाम की दुहाई दी।
लेकिन सऊदी प्रिंस ने साफ कर दिया कि वह पाकिस्तान का साथ नहीं दे सकते हैं। यही नहीं सऊदी अरब के प्रिंस ने इमरान को चेताया कि वह फायदे के लिए वह इस्तेमाल न करे। जिसके बाद से ही इमरान खान ने मुस्लिम देशों का नया संगठन खड़ा करने की कोशिश थी, लेकिन अब सऊदी प्रिंस ने इमरान खान की इस राजनीति को खत्म कर दिया है।