कांग्रेस के समय में हुए 7 बड़े रक्षा घोटाले

By Ajit K Dubey  |  First Published Oct 17, 2018, 2:09 PM IST

60 साल के कांग्रेस और उसके सहयोगियों के शासन के दौरान उन पर घोटाले के कई दाग हैं। रक्षा क्षेत्र में घोटालों की शुरुआत 1948 में हुई जीप खरीद से होती है। तब जवाहर लाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री थे। 

कांग्रेस भले ही फ्रांस से हो रही 36 राफेल विमानों की खरीद को घोटाला बताकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साध रही हो। लेकिन हकीकत यह है कि 60 साल के कांग्रेस और उसके सहयोगियों के शासन के दौरान उन पर घोटाले के कई दाग हैं। रक्षा क्षेत्र में घोटालों की शुरुआत 1948 में हुई जीप खरीद से होती है। तब जवाहर लाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री थे। 'माय नेशन' पर कांग्रेस और यूपीए के शासन के दौरान हुए 7 बड़े घोटालों पर एक नजर।

जीप घोटाला

1948 में हुआ जीप घोटाला आजाद भारत का पहला बड़ा स्कैम था। ब्रिटेन में भारत के तत्कालीन उच्चायुक्त वीके कृष्ण मेनन ने प्रोटोकॉल को दरकिनार कर विदेश कंपनी से सेना के लिए 200 जीप खरीदने को 80 लाख रुपये के कांट्रैक्ट पर हस्ताक्षर किए। पूरी राशि चुकाने के बाद भी सेना को कथित तौर पर 155 जीपें ही मिल पाई थीं। इसकी जांच के लिए एक कमेटी भी गठित की गई लेकिन उसे बीच में ही बंद कर दिया गया। बाद में मेनन को नेहरू सरकार ने देश का रक्षा मंत्री बनाया। 

पनडुब्बी घोटाला

मोरारजी देसाई की सरकार में नौसेना के लिए चार पनडुब्बियां खरीदने की प्रक्रिया शुरू की। इसमें स्वीडन की कंपनी ने सबसे कम बोली लगाई थी और नौसेना ने अपनी जरूरतों के अनुरूप उसे बेहतर माना था। हालांकि जब इंदिरा गांधी की सरकार सत्ता में आई तो अधिकारियों ने पनडुब्बियों की खूबियों (स्पेसिफिकेशन) में कथित तौर पर बदलाव किया और पश्चिम जर्मनी की कंपनी को सौदा दे दिया गया। इस सौदे को हासिल करने के लिए कथित तौर पर सौदे की कुल कीमत का सात प्रतिशत कमीशन दिया गया था। 

बोफोर्स स्कैम 

इसे देश का सबसे बड़ा रक्षा घोटाला माना जाता है, क्योंकि इसने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को राजनीतिक तौर पर काफी नुकसान पहुंचाया। सेना के लिए स्वीडन से 410 बोफोर्स तोपें खरीदी गई थीं। आरोप था कि कंपनी ने सौदे को हासिल करने के लिए 65 करोड़ रुपये की घूस दी थी। यह घोटाला राजीव गांधी सरकार में वीपी  सिंह के रक्षा मंत्री रहते सामने आया था।

टाट्रा ट्रक स्कैम

2010 में यूपीए सरकार के दौरान टाट्रा ट्रक घोटाला सामने आया। इसे सामने लाने का श्रेय तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह को जाता है। आरोप था कि सरकारी क्षेत्र की एक कंपनी और कुछ विदेशी विक्रेता इन ट्रकों के लिए मूल कीमत से दो से तीन गुना ज्यादा कीमत ले रहे हैं। यह आरोप भी लगे कि सेना के एक रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल ने सेना के लिए 614 ट्रकों की खरीद को पास करने के लिए जनरल वीके सिंह को घूस की पेशकश की थी। 

आदर्श हाउसिंग सोसायटी स्कैम

यह यूपीए सरकार के समय हुआ एक और बड़ा घोटाला था। मुंबई में एक सैन्य बेस के पास ही कारगिल शहीदों के परिवारों के लिए आदर्श हाउसिंग सोसायटी में बने फ्लैटों को राजनेताओं, नौकरशाहों, सेना के वरिष्ठ अधिकारियों को दे दिया गया। सेना ने राजनेताओं-नौकरशाहों-सैन्य अधिकारियों की लॉबी द्वारा इस जमीन के दुरुपयोग पर आपत्ति जताई थी। घोटाले का खुलासा होने के बाद महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को इस्तीफा देना पड़ा था और कई वरिष्ठ नेताओं पर गाज गिरी थी। 

नौसेना टोही विमान घोटाला

यह घोटाला 2008-09 में हुआ था, हालांकि इसका खुलासा 2018 में सीएजी की रिपोर्ट से हुआ। इसमें अमेरिकी कंपनी बोइंग को सबसे कम बोली लगाने वाला घोषित करने के लिए एक यूरोपीय कंपनी की बोली के साथ कथित तौर पर छेड़छाड़ की गई। यूरोपीय कंपनी की बोली अमेरिका की बोइंग की बोली से 1,000 करोड़ रुपये कम थी। लेकिन नौसेना के लिए आठ टोही विमानों की खरीद से जुड़ा 2.1 बिलियन डॉलर का सौदा अमेरिकी कंपनी को दे दिया गया। 

अगस्ता वेस्टलैंड स्कैम

यह घोटाला वायुसेना के लिए 12 वीवीवाई हेलीकॉप्टरों की खरीद से जुड़ा है। यह स्कैम तब सामने आया जब इटली में इस सौदे के कथित बिचौलिये की गिरफ्तारी हुई। आरोप है कि इतालवी कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड को 3,600 करोड़ रुपये का सौदा दिलाने के लिए प्रतिस्पर्धी कंपनियों को रेस से बाहर कर दिया गया। सौदे को इतालवी कंपनी के पक्ष में करने के लिए अलग-अलग एजेंटों को 360 करोड़ रुपये की घूस दी गई। इस सौदे का मुख्य बिचौलिया क्रिश्चियन मिशेल इस समय यूएई में है। उसे कभी भी भारत लाए जाने की संभावना है। 
 

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