पश्चिम बंगाल में तृणमूल सरकार और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच टकराव जारी है। कुछ दिन पहले ही ममता सरकार ने राज्यपाल को राजकीय विमान देने से मना कर दिया था। राज्य सरकार के तर्क थे राजकीय विमानों का इस्तेमाल जनहित के कार्यों के लिए किया जाना चाहिए। राज्य सरकार दो बार राज्यपाल को विमान देने से मना कर चुकी है। यही नहीं दो हफ्ते पहले ही विधानसभा अध्यक्ष ने राज्यपाल को विधानसभा की लाइब्रेरी देखने और दोपहर के भोजन के लिए आमंत्रित किया।
कोलकाता। पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार राज्य के राज्यपाल की शक्तियों को सीमित करने में जुट गई है। राज्य की ममता बनर्जी सरकार ने राज्यों के विश्वविद्यालयों में कुलपति और कुलाधिपति के बीच होने वाले संवाद को सीमित करने के लिए विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश किया है। जिसके तहत अब कुलपति कुलाधिपति से उच्च शिक्षा विभाग द्वारा संवाद स्थापित करेंगे।
पश्चिम बंगाल में तृणमूल सरकार और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच टकराव जारी है। कुछ दिन पहले ही ममता सरकार ने राज्यपाल को राजकीय विमान देने से मना कर दिया था। राज्य सरकार के तर्क थे राजकीय विमानों का इस्तेमाल जनहित के कार्यों के लिए किया जाना चाहिए। राज्य सरकार दो बार राज्यपाल को विमान देने से मना कर चुकी है। यही नहीं दो हफ्ते पहले ही विधानसभा अध्यक्ष ने राज्यपाल को विधानसभा की लाइब्रेरी देखने और दोपहर के भोजन के लिए आमंत्रित किया।
लेकिन ऐन वक्त पर इस रद्द कर दिया गया और राज्यपाल के लिए विधानसभा के गेट नहीं खोले गए और उन्हें वहीं से वापस जाना पड़ा। इसके अलावा पिछले दिनों जब राज्यपाल ने कोलकाता विश्वविद्याल का दौरा किया तो कुलपति को सूचना देने के बावजूद वह कार्यालय से गायब थे और उनके कार्यालय में ताला लगा हुआ था। जिसके बाद राज्य में संवैधानिक संकट उत्पन्न हो गया था। अब राज्य सरकार ने राज्यपाल की शक्तियों को सीमित करने का प्रस्ताव विधानसभा में पेश किया है। हालांकि ये प्रस्ताव पास हो जाएगा। क्योंकि सदन में राज्य सरकार के पास बहुमत है।
इस बिल पारित हो जाने के बाद राज्यपाल सीधे तौर पर विश्वविद्यालयों के कुलपति से संवाद नहीं कर सकेंगे। जबकि इसके लिए उन्हें राज्य के उच्च शिक्षा विभाग के जरिए संवाद करना होगा। जो राज्य सरकार के अधीन है। जाहिर है इसके जरिए राज्य सरकार राज्यपाल के आदेशों को दरकिनार करना चाहती है। अभी तक कुलपतिय़ों की नियुक्त का अधिकार राज्यपाल का होता है। हालांकि राज्य के शिक्षा मंत्री का कहना है कि नए प्रस्ताव से राज्यपाल की शक्तियों में कमी नहीं होगी।