ममता vs सीबीआईः सुप्रीम कोर्ट में एजेंसी का दावा, राजीव कुमार ने 'कॉल रिकॉर्ड' सौंपे, डिटेल मिटा दी

- सीबीआई ने 14 पेज के हलफनामे में किए कई सनसनीखेज दावे। कहा, कोलकाता कमिश्नर राजीव कुमार ने आरोपियों के साथ मिलीभगत कर सबूत मिटाए। 
 

Mamta vs CBI: Affidavit in Supreme Court claim Rajeev Kumar destroy Electronic evidence

सुप्रीम कोर्ट ने सारदा और रोज वैली चिटफंड घोटाले की जांच के सिलसिले में कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार को सीबीआई के सामने पेश होने को कहा है। उन्हें फिलहाल गिरफ्तार नहीं किया जाएगा और निष्पक्ष जांच के लिए वह शिलांग में एजेंसी के समक्ष पेश होंगे। 

चिटफंड घोटाले में राजीव कुमार से पूछताछ के लिए कोलकाता गई सीबीआई टीम को जांच से रोकने और हिरासत में लेने के मामले में केंद्रीय एजेंसी सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से 14 पेज का पूरक हलफनामा दिया गया। इसमें सीबीआई ने कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार पर इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड नष्ट करने का आरोप लगाया है। राजीव पर आरोप है कि वह पहले एसआईटी में थे लेकिन उन्होंने बाद में आरोपी के साथ मिली भगत कर सबूत नष्ट किए। 

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सीबीआई का दावा है कि उपलब्ध सामग्री के आधार पर राजीव कुमार पर पहली नजर में ही पीसी एक्ट का मामला बनता है। सीबीआई ने कहा, जो तथ्य हैं, उनके तहत कमिश्नर राजीव कुमार से पूछताछ की जानी है। राजीव कुमार ने अप्रैल, 2013 और मई 2014 के बीच चिट फंड घोटाले की जांच के लिए गठित एसआईटी का नेतृत्व किया। जब सुप्रीम कोर्ट ने जांच सीबीआई को दो तो कुमार ने सभी जांच दस्तावेज नहीं दिए। एजेंसी ने जब उनसे पूछा, ऐसा कैसे हुआ यह समझाने के लिए वह पेश हों तो वह नहीं आए। 

अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताया कि आईपीएस अधिकारी राजीव कुमार ने आरोपियों के कॉल डिटेल रिकॉर्ड को दर्ज किया था। राजीव कुमार ने सीबीआई को सैद्धांतिक रूप से कॉल रिकॉर्ड सौंपे हैं। लेकिन कौन था, किसने बुलाया, इस जानकारी को मिटा दिया गया। सुदीप्तो सेन के सेल फोन को वापस सौंप दिया गया। 

अटॉर्नी जनरल ने यह कहा कि जांच को गए सीबीआई अधिकारियों को बसों में धकेल दिया गया, घंटों तक पुलिस थाने में रखा गया, संयुक्त निदेशक के घर की घेराबंदी की गई। पश्चिम बंगाल पुलिस की कार्रवाई के पीछे कौन था? किसके आदेश पर यह सब हुआ? 

एक दिन पहले ही सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि सीबीआई को राज्य पुलिस ने अपनी गिरफ्त में ले लिया गया। जब चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने पूछा कि क्या वो अभी गिरफ्त में है। तो सॉलिसिटर जनरल ने कहा था कि उन्हें रात में कई घंटों तक हिरासत में रखने के बाद छोड़ा गया। राज्य सरकार सारदा घोटाले से संबंधित सारे सबूत नष्ट कर देगी। लिहाजा कोर्ट को इसमें दखल देना चाहिए। इसके बाद चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर पश्चिम बंगाल सरकार ऐसा करती है तो उन्हें भारी खमियाजा भुगतना पड़ेगा। 

इतना ही नहीं सॉलिसिटर जनरल ने कहा था कि राज्य सरकार ने सीबीआई के काम मे बाधा डालकर अदालत के आदेशों की अवमानना की है। हम उक्त मामले को लेकर एक अवमानना याचिका भी दायर करने जा रहे है। कोर्ट को इस मामले को देखना चाहिए। जिस तरह से राज्य पुलिस ने सीबीआई मुख्यालय को अपने कब्जे में लिया, उससे साफ जाहिर होता है, कि वो मामले के सबूतों को नष्ट कर रहे हैं। पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार को 4 बार समन जारी किए गए थे। इसकी जानकारी डीजीपी को भी दी गई।  कोर्ट राजीव कुमार को तुरंत आत्मसमर्पण कर उनकी जांच में सहयोग के लिए निर्देश जारी करे। ताकि वो उनके खिलाफ सबूतों को नष्ट न कर सके। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि पहले आप सबूत तो दीजिए कि कोलकाता पुलिस अधिकारी कौन से दस्तावेज नष्ट कर रहे हैं।

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