मांझी करेंगे नीतीश कुमार के साथ चुनाव गठबंधन, महागठबंधन में दरार

By Team MyNationFirst Published Aug 20, 2020, 11:47 AM IST
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फिलहाल मांझी के महागठबंधन से बाहर जाने के बाद राज्य में विपक्षी दलों को बड़ा झटका लगा है।  वहीं पार्टी के कार्यकर्ताओं को हम के जदयू में विलय की आशंका सता रही है। लिहाजा पिछले 2 दिनों से विभिन्न जिलों से कार्यकर्ता पार्टी अध्यक्ष जीतन राम मांझी से मुलाकात कर रहे हैं और विलय नहीं करने की बात पर दबाव दे रहे हैं। 

पटना। बिहार में विपक्षी दलों के महागठबंधन में दरार आ गई है। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) अब आगामी विधानसभा चुनाव में राज्य  की सत्ताधारी जनता दल यूनाइटेड के साथ गठबंधन करेगी और एनडीए का हिस्सा बनेगी। फिलहाल हम की जदयू से गठबंधन की बात लगभग तय हो गई है और माना जा रहा है कि गुरुवार को पार्टी अध्यक्ष जीतन राम मांझी इसकी औपचारिक घोषणा करेंगे। हालांकि जदयू मांझी से पार्टी का जदयू में विलय करने की मांग कर रही है। जबकि हम के ज्यादातर नेता चुनावी गठबंधन को लेकर मांझी पर दबाव बना रहे हैं। 

फिलहाल मांझी के महागठबंधन से बाहर जाने के बाद राज्य में विपक्षी दलों को बड़ा झटका लगा है।  वहीं पार्टी के कार्यकर्ताओं को हम के जदयू में विलय की आशंका सता रही है। लिहाजा पिछले 2 दिनों से विभिन्न जिलों से कार्यकर्ता पार्टी अध्यक्ष जीतन राम मांझी से मुलाकात कर रहे हैं और विलय नहीं करने की बात पर दबाव दे रहे हैं। हालांकि मांझी का कहना है कि पार्टी को समाप्त नहीं किया जाएगा वहीं गठबंधन के बाद ही सीट शेयरिंग की बात की जाएगी। जानकारी के मुताबिक राज्य में पार्टी 16 विधानसभा सीटों पर अपना दावा कर रही है। हालांकि ये गठबंधन जदयू से किया जा रहा है। इसके तहत जो सीटें जदयू के खाते में आएंगी उन सीटों में से मांझी के दल को सीटें मिलेंगी।

वहीं  भाजपा अपने खाते से लोजपा को सीटें दे सकती है। हालांकि लोजपा राज्य में राजग का हिस्सा है और लोकसभा चुनाव तीनों दलों ने मिलकर लड़ा था। वहीं हम ने मगध प्रमंडल के सीटों पर ही अपनी दावेदारी की है। जबकि पार्टी का प्रभाव कोसी, पूर्णिया क्षेत्र की कई सीटों पर भी है। वहीं कहा जा रहा है कि इस बार हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को चुनाव आयोग इस बार नया चुनाव चिन्ह आवंटित करेगा और पुराना चुनाव चिन्ह टेलीफोन अब बदल दिया जाएगा। असल में पार्टी को राज्य में नियमानुसार दो चुनावों में 4 फीसदी वोट नहीं मिले थे और उसके 2 उम्मीदवार चुनाव नहीं जीते थे।  लिहाजा चुनाव  आयोग पार्टी का चुनाव चिन्ह बदल रहा है।  
 

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