मनोज तिवारी को सुप्रीम कोर्ट से राहत

By Gopal Krishan  |  First Published Nov 22, 2018, 1:14 PM IST

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष और सांसद मनोज तिवारी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने मनोज तिवारी को मात्र चेतावनी देकर छोड़ दिया है। 

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मास्टर प्लान का उल्लंघन करने के कारण सील किए गए परिसर की सील तोड़ने वाले दिल्ली भाजपा अध्यक्ष और सांसद मनोज तिवारी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने मनोज तिवारी को मात्र चेतावनी देकर छोड़ दिया है। 

सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए अपने फैसले में कहा कि पार्टी चाहे तो कोई एक्शन ले सकती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि हमे दुःख है कि मनोज तिवारी एक सांसद होकर कानून को तोड़ा। यह फैसला न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने सुनाया है। 

इससे पहले कोर्ट ने मनोज तिवारी को अवमानना का नोटिस जारी करके जवाब मांगा था। जिसके बाद तिवारी ने कोर्ट में हलफनामा दायर किया था लेकिन उस हलफनामे में माफी मांगने जैसी कोई बात नही थी। तिवारी ने अपने हलफनामे में कहा था कि उन्होंने कोर्ट के आदेश का उल्लंघन नही किया है, इसलिये उनके खिलाफ कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट का मामला नही बनता है। इसलिये उनके खिलाफ चल रहा अवमानना के मामले को खत्म किया जाये। 

साथ ही उन्होंने कहा था कि कोर्ट चाहे तो वो सीलिंग अधिकारी बनने को तैयार है। दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने मॉनिटरिंग कमिटी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि मॉनिटरिंग कमिटी भ्रष्ट अधिकारियों के साथ मिल कर सीलिंग का रैकेट चला रही है। उन्होंने यह भी कहा कि मॉनिटरिंग कमिटी न्यायिक रूप से अपने दायित्वों का पालन नहीं कर रही है। दिल्ली की जनता पर पिक एंड चूज के तहत अत्याचार हो रहा है और अब यह जो सीलिंग है वह सीलिंग उद्योग बन गया है। भ्रष्ट अधिकारियों के साथ मिलकर मॉनिटरिंग कमिटी ने जिस तरह कार्यवाही की है उससे दिल्ली की जनता डरी हुई है। 

उन्होंने यह भी जोड़ा कि न्याय की सुनवाई नही हो रही है और अगर कोई प्रश्न उठाता है तो उसको सुनवाई करने के लिए एक लाख रूपये जमा कराने पड़ते हैं। जहां पर देश में 6 रुपये की टिकट पर न्याय के लिए सुनवाई की जाती है वहा पर एक लाख रुपये देना  नैचुरल जस्टिस के खिलाफ है। 

यह मामला तब चर्चा में आया जब सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के गोकुलपुर में एक गांव की सीलिंग तोड़ने के मामले में एक हप्ते के भीतर जवाब मांगा था। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी मॉनिटरिंग कमिटी की रिपोर्ट के आधार पर मनोज तिवारी को अवमानना का नोटिस जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने मनोज तिवारी के उस बयान पर आपत्ति जाहिर किया था जिसमे उन्होंने कहा था कि दिल्ली में एक हजार ऐसी जगहे है जिसमें सील लगनी चाहिये, लेकिन वहा सीलिंग नही की जाती है। जिसपर कोर्ट ने तिवारी से कहा कि आप ऐसी जगहें का सूची दे तो कोर्ट आपको सीलिंग अधिकारी बना देगा।

 हालांकि तिवारी के वकील ने कहा था ये लिस्ट न मांगी जाए ये सांसद है तो कुछ करेंगे। सीलिंग तोड़ने के खिलाफ गोकुलपुरी थाने में मनोज तिवारी के पुलिस ने आईपीसी की धारा 188 और डीएमसी की धारा 461 और 465 के तहत मामला दर्ज कर लिया था।

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