भ्रष्टाचार की जांच के लिए बने लोकपाल के सामने अजीबोगरीब शिकायतों की बाढ़

By Gopal KFirst Published Jun 13, 2019, 6:33 PM IST
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देश मे तेजी से बढ़ रहे भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए गठित लोकपाल में अभी तक कोई बड़ी शिकायत तो नहीं आई है, लेकिन नौकरी, संपत्ति से जुड़े शिकायतों का बाढ़ आ गई है। 

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री, मंत्रियों और आला अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्ट्राचार के गंभीर मामलों की जांच के लिए गठित लोकपाल इन शिकायतों को निपटारा करने में लगा है। 

जानकारी के मुताबिक पिछले दो महीनों में लोकपाल ने 310 शिकायतों का निपटारा किया है और अभी 160 मामले लोकपाल के पास लंबित है जिन्हें निपटाने के लिए जल्दी ही लोकपाल की तीसरी बैठक होने वाली है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लोकपाल की नियुक्ति सरकार नही कर पा रही थी। लेकिन सरकार ने इसको लेकर कई बैठकों के बाद सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस पीसी घोष को लोकपाल का अध्यक्ष बनाया गया। पीसी घोष के अलावा आठ अन्य सदस्यों की नियुक्ति हुई और उसके बाद भ्रष्टाचार को लेकर लोकपाल ने अपना काम शुरू कर दिया। 

लोकपाल सिर्फ भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच के लिए है। उसके अधिकार क्षेत्र में प्रधानमंत्री, मंत्री, सांसद के आलावे ग्रुप ए, बी, सी और डी ग्रेड के अधिकारियों व केंद्रीय कर्मचारियों के खिलाफ आने वाली भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच करना है लेकिन बड़ी इस उम्मीद के साथ लोकपाल का गठन किया गया था कि बड़े भ्रष्टाचार के मामले सामने आएंगे। लेकिन लोग लोकपाल कमेटी से कुछ भी शिकायते कर देते है। 

बहुत सी शिकायतें तो नौकरी, पेंशन, संपत्ति विवाद, जमीन विवाद या लंबित मुकदमों से जुड़ी होती हैं जिन्हें सुनना लोकपाल के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। यहां तक कि लोग नौकरी का आवेदन भी शिकायत में भेज रहे हैं। इतना ही नहीं बहुत सी शिकायतें लोकपाल के पास प्रति के रूप में संलग्न करके भेजी जाती है। जैसे कि मुख्य शिकायत प्रधानमंत्री को भेजी गई और उसकी एक प्रति लोकपाल को भी भेज दी गई। 

वैसे सच ये भी है कि सरकार ने लोकपाल तो बना दिया और लोकपाल ने अपना काम भी शुरू कर दिया लेकिन लोकपाल के पास अभी तक अपना कोई स्थाई दफ्तर नही है और ना ही जरूरत के हिसाब से कर्मचारी है। लोकपाल फिलहाल दिल्ली के अशोका होटल से काम कर रहा है।
 

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