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जम्मू-कश्मीर में जमात-ए-इस्लामी पर बैन के बाद एक्शन, खाते और धार्मिक संस्थान सील

Arjun Singh |  
Published : Mar 02, 2019, 11:27 AM IST
जम्मू-कश्मीर में जमात-ए-इस्लामी पर बैन के बाद एक्शन, खाते और धार्मिक संस्थान सील

सार

जमात-ए-इस्लामी पर सैयद सलाहुद्दीन के आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के लिए आतंकियों की भर्ती और कट्टरवाद का प्रचार-प्रसार करने का आरोप है। 

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने भारत में आतंक को बढ़ावा देने वाले संगठनों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।  जम्मू-कश्मीर में कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की गई है। सरकार ने जमात-ए-इस्लामी के 70 खाते सील कर दिए हैं। इसके साथ ही 52 करोड़ कैश भी जब्त कर दिया गया है। उसके कई धार्मिक संस्थान भी सील कर दिए गए हैं। अब तक जमात-ए-इस्लामी के 350 से ज्यादा सदस्यों को हिरासत में लिया गया है। 

सरकार ने शुक्रवार को इंस्पेक्टर जनरल और जिला मजिस्ट्रेटों को जमात-ए-इस्लामी के कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेने की इजाजत दे दी थी। 350 से ज्यादा सदस्यों को शुक्रवार को गिरफ्तार किया गया था। एक अनुमान के मुताबिक, यह अलगाववादी संगठन कश्मीर घाटी में 400 स्कूल, 350 मस्जिदें और 1000 सेमिनरी चलाता है। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि संगठन के पास 4,500 करोड़ रुपये की संपत्ति होने की संभावना है जिसकी जांच के बाद यह पता चलेगा कि यह वैध है या अवैध।

केंद्र सरकार ने जम्‍मू कश्‍मीर के अलगाववादी संगठन जमात-ए-इस्‍लामी पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर को कथित रूप से राष्ट्र विरोधी और विध्वंसकारी गतिविधियों के लिए गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत प्रतिबंधित किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा पर एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद गृह मंत्रालय द्वारा प्रतिबंध को लेकर अधिसूचना जारी की गई। जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर पर देश में राष्ट्र विरोधी और विध्वंसकारी गतिविधियों में शामिल होने और आतंकवादी संगठनों के साथ संपर्क में होने का आरोप है।सुरक्षा बलों ने पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आतंकवादी हमले के बाद अलगाववादी ताकतों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी तथा जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर के कई नेताओं और समर्थकों को गिरफ्तार किया था।
 
केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक, जमात-ए-इस्लामी अलगाववादी और देश विरोधी गतिविधियों में शामिल है। अधिसूचना में उसे नफरत फैलाने के इरादे से काम करने वाला एक संगठन बताया गया है। यही वजह है कि गृह मंत्रालय ने कानून-व्यवस्था और सुरक्षा को देखते हुए इस संगठन को प्रतिबंधित करने के आदेश दिए हैं। 

जमात-ए-इस्लामी कश्मीर घाटी में अलगावादियों और कट्टरपंथियों का प्रचार-प्रसार करता है। वह सैयद सलाहुद्दीन के आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के लिए आतंकियों की भर्ती, धन और साजो-सामान में मदद करता है। अधिकारियों के मुताबिक,  दक्षिण कश्मीर में जमात-ए-इस्लामी के बड़ी संख्या में कार्यकर्ता हैं। हिजबुल मुजाहिदीन पाकिस्तान के सहयोग से प्रशिक्षण देने के साथ ही हथियारों की आपूर्ति कर रहा है। जमात-ए-इस्लामी पर कश्मीर घाटी में आतंकवादी गतिविधियों की सक्रिय अगुआई करने का आरोप है। 

पाकिस्तान में छिपा सैयद सलाहुद्दीन पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों के संगठन यूनाइटेड जेहाद काउंसिल का सरगना है। जमात-ए-इस्लामी जेके पर पहले भी दो बार प्रतिबंध लगाया गया था। पहली बार 1975 में जम्मू-कश्मीर सरकार ने दो साल के लिए और दूसरी बार अप्रैल 1990 में केंद्र सरकार ने तीन साल के लिए प्रतिबंध लगाया था। दूसरी बार प्रतिबंध लगने के समय मुफ्ती मोहम्मद सईद केंद्रीय गृह मंत्री थे।

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