मोदी 2.0 में अल्पसंख्यकों के लिए बड़ा संदेश, विपक्ष की राजनीति के लिए 'खतरा'

By Team MyNationFirst Published May 26, 2019, 11:17 AM IST
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दूसरे कार्यकाल के पहले भाषण में मोदी ने अल्पसंख्यक वर्ग को संदेश देते हुए कहा, जैसा छल गरीब के साथ हुआ, वैसा ही अल्पसंख्यक के साथ हुआ। उन्हें ‘भ्रमित-भयभीत’ रखा गया।

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री के तौर पर अपनी दूसरी पारी शुरू करने जा रहे नरेंद्र मोदी ने पहली बार अल्पसंख्यकों को लेकर बड़ा संदेश दिया है। उन्होंने अपनी नई सरकार का लक्ष्य ‘सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास’ बताया है।  मोदी ने संसद के सेंट्रल हॉल में एनडीए के सांसदों को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदुस्तान को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए ‘हमें अल्पसंख्यकों सहित सभी का विश्वास जीतना है।’ 

उन्होंने यह बात संसद के सेंट्रल हॉल में  एनडीए एवं भाजपा नेताओं को संबोधित करते हुए कही। मोदी ने गरीबों एवं अल्पसंख्यकों का उल्लेख करते हुए कहा, ‘देश में गरीब एक राजनीतिक संवाद-विवाद का विषय रहा।...गरीबों के साथ जो छल चल रहा था, उस छल में हमने छेद किया है और सीधे गरीब के पास पहुंचे हैं।’ उन्होंने अल्पसंख्यक वर्ग को परोक्ष संदेश देते हुए कहा कि जैसा छल गरीब के साथ हुआ, वैसा ही अल्पसंख्यक के साथ हुआ। उन्हें ‘भ्रमित-भयभीत’रखा गया। उन्होंने कहा कि वोट बैंक की राजनीति में छलावा, काल्पनिक भय बनाया गया और उन्हें दबाकर रखा गया। पीएम के इस बयान को दूसरे कार्यकाल यानी मोदी 2.0 का पहले मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है। उन्होंने विपक्ष की तुष्टिकरण की राजनीति पर सीधा हमला बोला है। 

For 70 years, India’s poor were betrayed. In the last 5 years, an effort was made to change this culture.

Similarly, for 70 years, minorities were treated only as vote banks. ‘Sabka Saath, Sabka Vikas, Sabka Vishwas’ aims to correct this wrong and work towards real empowerment. pic.twitter.com/TtzXq9Qd8L

— Narendra Modi (@narendramodi)

इससे पहले भाजपा सांसदों एवं एनडीए नेताओं की बैठक में नरेंद्र मोदी को पहले भाजपा संसदीय दल का नेता और फिर सर्वसम्मति से एनडीए का नेता चुना गया ।

अल्पसंख्यकों के साथ हुए छल में करना है छेद

प्रधानमंत्री ने नवनिर्वाचित सांसदों से कहा, ‘2019 में आपसे अपेक्षा करने आया हूं कि हमें इस छल को भी छेदना है । हमें विश्वास जीतना है।’ उन्होंने कहा, ‘जिन्होंने वोट दिया है, वो भी हमारे हैं, जिन्होंने विरोध किया, वो भी हमारे हैं । जिन्होंने आज हमारा विश्वास किया, हम उनके लिये भी है और जिनका हमें विश्वास जीतना है, उनके लिये भी हैं ।’ मोदी ने अपने भाषण में विभिन्न अवसरों पर रामकृष्ण परमहंस, महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, डा. बीआर अंबेडकर, दीनदयाल उपाध्याय एवं राममनोहर लोहिया का उल्लेख करते हुए कहा कि 1857 का स्वतंत्रता संग्राम इस देश की हर कौम, जाति, पंथ ने कंधे से कंधा मिलाकर लड़ा था। देश की एकता और अखंडता के लिए संविधान की शपथ लेने वालों का दायित्व है कि उस आजादी की भावना को जिंदा करें। अब सुराज्य, गरीबी के लिए लड़ना है और सबको साथ लेकर चलना है।' मोदी ने अपने भाषण से पहले केन्द्रीय कक्ष में रखी भारतीय संविधान की प्रति के पास जाकर उसे सिर झुकाकर नमन किया। 

सरकार के कामकाज के लिए 'नारा'

अपनी अगली सरकार के कार्यों के संदर्भ में उन्होंने कहा कि हमारी दो प्रमुख पटरी है जिस पर राजग को देश को आगे लेकर चलना है । ‘इसमें एक नेशनल एम्बिशन यानी राष्ट्रीय अभिलाषा और दूसरी रीजनल एस्पिरेशन यानी क्षेत्रीय आकांक्षा है । उन्होंने कहा कि यह अब हमारा ‘नारा’ है ।’ मोदी के भाषण से पहले राजग से अकाली दल के नेता प्रकाश सिंह बादल ने मोदी को राजग नेता बनाने का प्रस्ताव किया और जनता दल यू नेता नीतीश कुमार, लोक जनशक्ति पार्टी नेता रामविलास पासवान, शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे, अन्नाद्रमुक के पलनीसामी सहित अन्य नेताओं ने इसका अनुमोदन किया । इस दौरान भाजपा एवं राजग सांसदों एवं नेताओं ने मेज थपथपा कर स्वागत किया । इस दौरान केंद्रीय कक्ष में कई बार ‘मोदी, मोदी’ के नारे भी लगे।

सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास का मंत्र

इस अवसर पर मोदी ने कहा, ‘सत्ता-भाव न भारत का मतदाता स्वीकार करता है, न पचा पाता है।हम चाहे भाजपा या राजग के प्रतिनिधि बनकर आए हों, जनता ने हमें स्वीकार किया है सेवाभाव के कारण।’ उन्होंने कहा, ‘हमारे लिए और देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए सेवा भाव से बड़ा कोई मार्ग नहीं हो सकता । संविधान को साक्षी मानकर हम संकल्प लें कि देश के सभी वर्गों को नई ऊंचाइयों पर ले जाना है। पंथ-जाति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। हम सबको मिलकर 21वीं सदी में हिंदुस्तान को ऊंचाइयों पर ले जाना है। सबका साथ, सबका विकास और अब सबका विश्वास, यही हमारा मंत्र है ।’ 

एनडीए के पास एनर्जी और सिनर्जी

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए ‘गठबंधन की राजनीति को हमें अपने आदर्शों का हिस्सा बनाना पड़ेगा और यह वाजपेयीजी की देश को सबसे बड़ी देन है ।’ उन्होंने कहा कि एनडीए के पास दो महत्वपूर्ण चीजें हैं। एक ‘एनर्जी (ऊर्जा) और दूसरा सिनर्जी (तालमेल)।’ उन्होंने कहा, ‘एनर्जी-सिनर्जी ऐसी केमिस्ट्री है, जिससे हम सामर्थ्यवान हुए हैं। भारत के लोकतंत्र के लिए सभी पार्टियों को जोड़कर चलना समय की मांग है। उसमें आज सफलतापूर्वक कोई गठबंधन चला है, तो वह एनडीए है।’ 

देश के गरीबों ने बनाई ये सरकार

अपनी सरकार को देश के दलितों, गरीबों, पीड़ितों, वंचितों, आदिवासियों को समर्पित बताते हुए मोदी ने कहा, 2014 से 2019 तक हमने गरीबों के लिए सरकार चलाई और आज मैं बड़े संतोष के साथ कह सकता हूं कि ये सरकार देश के गरीबों ने बनाई है। उन्होंने कहा कि विश्वास की डोर जब मजबूत होती है, तो सत्ता समर्थक लहर पैदा होती है, यह लहर विश्वास की डोर से बंधी हुई है। ये चुनाव ‘पॉजिटिव वोट’का चुनाव है। फिर से सरकार को लाना है, काम देना है, जिम्मेदारी देनी है। इस सकारात्मक सोच ने इतना बड़ा जनादेश दिया है मोदी ने कहा कि आम तौर पर कहा जाता है कि चुनाव बांट देता है, दूरियां पैदा करता है, दीवार बना देता है। लेकिन 2019 के चुनाव ने दीवारों को तोड़ने का काम किया है। इस चुनाव ने ‘दिलों को जोड़ने काम किया है।’ 

उन्होंने कहा कि भारत के लोकतंत्र को हमें समझना होगा। भारत का मतदाता, भारत के नागरिक के नीर, क्षीर, विवेक को किसी मापदंड से मापा नहीं जा सकता है। सत्ता का रुतबा भारत के मतदाता को कभी प्रभावित नहीं करता है। सत्ताभाव भारत का मतदाता कभी स्वीकार नहीं करता है प्रधानमंत्री ने कहा, ‘जनप्रतिनिधि के लिए कोई भेद भाव की सीमा रेखा नहीं होती। जो हमारे साथ थे उनके लिए भी हैं और जो भविष्य में हमारे साथ चलने वाले हैं उनके लिए भी हैं।’

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