मोदी सरकार का क्रिसमस उपहार, सबसे लंबा रेल-सड़क पुल देश को समर्पित

Published : Dec 25, 2018, 05:27 PM IST
मोदी सरकार का क्रिसमस उपहार, सबसे लंबा रेल-सड़क पुल देश को समर्पित

सार

असम समझौते का हिस्सा रहे बोगीबील पुल को 1997-98 में मंजूरी दी गई थी। यह पुल अरूणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा के पास रक्षा गतिविधियों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्रिसमस के मौके पर असम में डिब्रूगढ़ के पास बोगीबील में ब्रह्मपुत्र नदी पर देश के सबसे लंबे रेल-सह-सड़क पुल का उद्घाटन किया। इस पुल को पूर्वोत्तर और विशेष रूप से असम तथा अरुणाचल के लिए अहम बताया जा रहा है। 

डिब्रूगढ़ पहुंचने के बाद मोदी ने एक हेलीकॉप्टर से सीधे बोगीबील पहुंचे और नदी के दक्षिणी किनारे से 4.94 किलोमीटर लंबे डबल-डेकर पुल का उद्घाटन किया। लोगों का अभिवादन करने के बाद मोदी कार से उतरे और असम के राज्यपाल जगदीश मुखी और मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल के साथ पुल पर कुछ मीटर तक चले।

प्रधानमंत्री ने ब्रहमपुत्र के उत्तरी किनारे पर अपने काफिले के साथ पुल को पार किया जहां वह तिनसुकिया-नाहरलागुन इंटरसिटी एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाई। यह ट्रेन एक सप्ताह में पांच दिन चलेगी। इस पुल से असम में तिनसुकिया और अरूणाचल प्रदेश के नाहरलागुन के बीच ट्रेन की यात्रा का समय 10 घंटे से अधिक तक कम हो जाएगा।

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विशाल ब्रह्मपुत्र नदी पर बना, सामरिक रूप से महत्वपूर्ण यह पुल अरूणाचल प्रदेश के कई जिलों के लिए कई तरह से मददगार होगा। डिब्रूगढ़ से शुरू होकर इस पुल का समापन असम के धेमाजी जिले में होता है। यह पुल अरुणाचल प्रदेश के भागों को सड़क के साथ-साथ रेलवे से जोड़ेगा। इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा, ये सिर्फ एक पुल नहीं है बल्कि ये इस क्षेत्र के लाखो लोगों के जीवन को जोड़ने वाली लाइफलाइन है। इससे असम और अरुणाचल के बीच की दूरी सिमट गई है।

पीएम ने कहा कि उनकी सरकार ने विकास परियोजनाओं को लागू करने में ‘टालमटोल’की कार्य संस्कृति को बदल दिया है। देश के सबसे लंबे रेल सह सड़क पुल का असम के बोगीबील में उद्घाटन करने के बाद एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि एक निश्चित समय सीमा के तहत परियोजनाओं को पूरा किया जाना कागजों तक सीमित नहीं है बल्कि हकीकत बन गया है।

उन्होंने पूर्ववर्ती कांग्रेस नीत संप्रग सरकार पर तंज कसते हुए कहा, ‘हमने लटकने भटकने की पहले की कार्य संस्कृति को बदल दिया है... परियोजनाओं के पूरा होने की समय सीमा कागजों तक सीमित नहीं है बल्कि वास्तव में सच्चाई बन गई है।’

प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी दूसरी बार जीतते तो बोगीबील पुल 2008-2009 तक बनकर ही पूरा हो जाता। उनकी सरकार के बाद 2014 तक परियोजना पर ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि बोगीबील पुल पर वाहनों और रेलगाड़ियों की आवाजाही से देश की सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता होगी। उन्होंने कहा कि यह केवल पुल नहीं है बल्कि असम और अरूणाचल प्रदेश के लोगों की जीवनरेखा है।

मोदी ने कहा कि पुल से असम के डिब्रूगढ़ और अरूणाचल प्रदेश के नाहरलागून के बीच की दूरी 700 किलोमीटर से घटकर 200 किलोमीटर से भी कम रह जाएगी। पुल का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री ने तिनसुकिया-नाहरलागून इंटरसिटी एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाई जो हफ्ते में पांच दिन चलेगी और इससे असम के तिनसुकिया और अरूणाचल प्रदेश के नाहरलागून के बीच रेलगाड़ी से यात्रा की अवधि दस घंटे से भी कम हो जाएगी।

असम समझौते का हिस्सा रहे बोगीबील पुल को 1997-98 में मंजूरी दी गई थी। यह पुल अरूणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा के पास रक्षा गतिविधियों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

इस परियोजना की आधारशिला पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा ने 22 जनवरी,1997 को रखी थी जबकि अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार के कार्यकाल में 21 अप्रैल, 2002 को इसका काम शुरू हुआ था। कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार ने 2007 में इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया था। 25 दिसम्बर अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती है।

इसके क्रियान्वयन में देरी के कारण इस परियोजना की लागत 85 प्रतिशत तक बढ़ गई। इसकी अनुमानित लागत 3,230.02 करोड़ रुपये थी जो बढ़कर 5,960 करोड़ रुपये हो गई। सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था कि इस पुल का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि इससे सैनिकों को दक्षिणी किनारे से उत्तरी किनारे जाने में आसानी होगी।

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