मोदी सरकार करेगी अखिलेश यादव का रूतबा कम, लेकिन मुलायम का जलवा बरकरार

By Team MyNationFirst Published Jul 23, 2019, 11:10 AM IST
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 फिलहाल केन्द्र सरकार एक दर्जन से ज्यादा नेताओं की सुरक्षा को कम करने पर विचार कर रहा है। यही नहीं कुछ नेताओं को मिली उच्च ग्रेड की सुरक्षा को निचले ग्रेड में भी किया जा सकता है। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में भी केन्द्र सरकार ने कई नेताओं को केन्द्रीय सुरक्षा बलों की सुरक्षा मुहैया कराई थी। जिसके तहत सभी नेताओं को केन्द्रीय सुरक्षा बलों के घेरे में रखा गया था।

केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को एक और बड़ा झटका देने की तैयारी में है। केन्द्र सरकार अब अखिलेश यादव का रूतबा कम करने जा रही है। इसी के तहत समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को मिली जेड प्लस श्रेणी की ‘ब्लैक कैट’ सुरक्षा जल्द ही केंद्र सरकार वापस लेगी। फिलहाल केन्द्र सरकार मुलायम सिंह से ब्लैककैट कमांडों की सुरक्षा वापस लेने के पक्ष में नहीं है।

हालांकि इसकी चर्चा पहले से ही थी। क्योंकि पहले भी केन्द्र सरकार नेताओं से केन्द्र की तरफ से दी जाने वाली सुरक्षा में कटौती कर चुकी है। यहां तक कि केन्द्र सरकार ने भाजपा के नेताओं की सुरक्षा में कटौती की है। यूपी में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या को भी केन्द्र सरकार से मिली सुरक्षा को वापस ले लिया। लिहाजा अब केंद्रीय गृह मंत्रालय सपा अध्यक्ष को उपलब्ध करवाया गया विशिष्ट राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड कवर वापस लेने की तैयारी में है।

हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री और मैनपुरी से सांसद मुलायम सिंह यादव का एनएसजी ‘ब्लैक कैट’ सुरक्षा कवच में किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया गया है। केन्द्र सरकार ने अखिलेश यादव को  2012 में ये सुरक्षा मुहैया कराई थी। जिसके तहत अत्याधुनिक हथियारों से लैस 22 एनएसजी कमांडो का एक दल उनकी सुरक्षा में तैनात रहता है।

फिलहाल केन्द्र सरकार एक दर्जन से ज्यादा नेताओं की सुरक्षा को कम करने पर विचार कर रहा है। यही नहीं कुछ नेताओं को मिली उच्च ग्रेड की सुरक्षा को निचले ग्रेड में भी किया जा सकता है। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में भी केन्द्र सरकार ने कई नेताओं को केन्द्रीय सुरक्षा बलों की सुरक्षा मुहैया कराई थी। जिसके तहत सभी नेताओं को केन्द्रीय सुरक्षा बलों के घेरे में रखा गया था। हालांकि इसे राज्य की ममता बनर्जी सरकार ने बड़ा मुद्दा बनाया था। लेकिन केन्द्र सरकार ने भाजपा नेताओं पर हो रहे हमलों के मद्देनजर ये फैसला लिया था।

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