चुनाव से पहले मोदी सरकार देने जा रही सबसे बड़ा तोहफा, साबित हो सकता है 'टर्निंग प्वाइंट'

By Anindya Banerjee  |  First Published Jan 24, 2019, 11:10 PM IST

- 2019 के चुनाव से पहले पेश होने वाले बजट में या अलग से भी कोई घोषणा कर सकती है सरकार। 10 एकड़ तक जमीन वाले किसानों का हो सकता है कर्ज माफ। 

अब जब आम चुनावों में कुछ ही महीने का समय बचा है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार अपना सबसे बड़ा फैसला लेने जा रही है। पीएम मोदी पूरे देश के किसानों को कर्जमाफी का तोहफा देने जा रहे हैं। देश भर में ऐसे सभी किसान जिनके पास 10 एकड़ यानी 4 हेक्टेयर तक कृषि भूमि है, इस कर्जमाफी के दायरे में आएंगे।

सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों ने 'माय नेशन' को बताया कि आगामी बजट में इस संबंध में कोई ऐलान किया जा सकता है। सरकार बजट के बाद अलग से भी कोई घोषणा कर सकती है। 

सरकार के पास 2011-12 की जनगणना के मुताबिक कृषि क्षेत्र के आंकड़े हैं। इसके आधार पर ही 10 एकड़ की सीमा निर्धारित की गई है। 2011 की जनगणना के मुताबिक, 4.9% किसानों के पास भारत की 32% कृषि भूमि का नियंत्रण है। 10 एकड़ की सीमा का अर्थ हुआ कि ऐसे सभी किसानों को अलग कर देना जो प्रभावशाली हैं या धनवान हैं। कर्जमाफी से सरकार देश के ज्यादा से ज्यादा किसानों को अपनी ओर लाने की कोशिश कर रही है। चुनाव से पहले इस तरह की योजना का ऐलान 'टर्निंग प्वाइंट' हो सकता है। 

किसको होगा लाभ?

सीमांत एवं लघु किसानों को इस देशव्यापी कर्जमाफी का लाभ मिल सकता है। सीमांत किसानों की बात करें तो देश में ऐसे किसानों के पास औसतन एक हेक्टेयर से भी कम कृषि भूमि है। वहीं देश के लघु किसानों के पास औसतन 3.51 हेक्टेयर की कृषि भूमि है। यही श्रेणियां हैं जिनके तहत आने वाले किसानों को बैंक कर्ज से राहत देने पर विचार हो रहा है। इसका अर्थ यह हुआ कि इससे ज्यादा कृषि भूमि रखने वाले किसानों को कर्जमाफी का लाभ नहीं मिलेगा। ग्रामीण इलाकों में कुछ छोटे किसान खुद अथवा कुछ छोटे संगठन बनाकर खेती करते हैं। अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि सरकार सिर्फ उन किसानों को लाभ देगी को खुद खेती करते हैं या वह भी इस कर्जमाफी के दायरे में आएंगे जो छोटे संगठन बनाकर खेती करते हैं। 

जहां तक इसके लाभकर्ताओं की बात है तो सीमांत किसानों के पास 92,826 परिचालन जोतें हैं। वहीं लघु श्रेणी के किसानों के पास 24,779 और मझोले किसानों के पास 13,896 परिचालन जोतें हैं। कुल मिलाकर एक बड़ा वर्ग है जिन्हें सरकार की कर्जमाफी का लाभ मिलने जा रहा है। 
 
कर्जमाफी की राजनीति

यह बहस काफी समय से चल रही है कि किसानों को आर्थिक मदद देने से उन्हें मजबूती दी जा सकती है या नहीं, हालांकि इतना तय है कि इस तरह  के उपाय राजनीतिक तौर पर काफी फलदायी होते हैं। भाजपा ने उत्तर प्रदेश में कर्जमाफी का ऐलान किया और सत्ता पाई। हालांकि इसके अलावा भी कई कारण थे जिसने भाजपा को इतनी बड़ी जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई। सरकार बनाने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले चरण में 7,371 करोड़ रुपये के कर्ज की माफी की प्रक्रिया शुरू कर दी। शुरुआत में आई दिक्कतों के लिए आलोचना झेलने के बावजूद राज्य के 86 लाख किसानों का 36,359 करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया गया। 
 
कर्जमाफी की यह तरकीब इसके बाद कांग्रेस ने पंजाब और कर्नाटक में अपनाई। महाराष्ट्र सरकार ने भी कर्जमाफी की। हाल ही में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस की सत्ता में वापसी की बड़ी वजह किसानों की कर्जमाफी रही है। सूत्रों की मानें तो इस बार कर्जमाफी देशव्यापी होने जा रही है। यह मोदी सरकार का चुनाव से पहले अंतिम और सबसे बड़ा ब्रह्मास्त्र हो सकता है। 

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