एमपी में कांग्रेस सरकार गिराने का मिला इनाम, यूपी में भाजपा ने खेला मुस्लिम कार्ड

By Team MyNation  |  First Published Aug 27, 2020, 7:59 AM IST

असल में भाजपा ने इसके जरिए एक तीर के कई निशानों साधने की कोशिश की है।  भाजपा ने मुस्लिमों को लुभाने के लिए मुस्लिम कार्ड खेला है। राज्य में मुस्लिम कई सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं और राज्य में  ये वर्ग सपा, कांग्रेस और बसपा का वोटबैंक माना जाता है।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी ने आगामी विधानसभा चुनाव से पहले मुस्लिम कार्ड खेला है।  राज्य में राज्यसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए सैय्यद जफर इस्लाम को प्रत्याशी घोषित किया है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह की तरफ से इस जानकारी की पुष्टि की गई है।  फिलहाल पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति ने सपा सांसद अमर सिंह के निधन हो जाने के बाद खाली इस सीट पर आगामी राज्य सभा उपचुनाव के लिए सैय्यद जफर इस्लाम के नाम पर अपनी स्वीकृति प्रदान की है।

असल में भाजपा ने इसके जरिए एक तीर के कई निशानों साधने की कोशिश की है। भाजपा ने मुस्लिमों को लुभाने के लिए मुस्लिम कार्ड खेला है। राज्य में मुस्लिम कई सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं और राज्य में  ये वर्ग सपा, कांग्रेस और बसपा का वोटबैंक माना जाता है। वहीं तीन तलाक को कानून बनाने के बाद मुस्लिम महिलाओं का भाजपा की तरफ झुकाव बड़ा है। लिहाजा पार्टी ने राज्यसभा की खाली एक सीट के लिए जफर इस्लाम के नाम पर मुहर लगाई है। ये सीट सपा सांसद अमर सिंह के निधन  के बाद खाली हुई थी  और इस सीट पर भाजपा का जीतना तय है। वहीं पार्टी ने इस्लाम को मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार बनाने के लिए इनाम दिया है। पार्टी ने सिंधिया को भाजपा में लाने की जिम्मेदारी इस्लाम को दी थी और राज्य में भाजपा की सरकार बनी थी।

फिलहाल जफर इस्लाम मीडिया में जाना पहचाना चेहरा हैं और वह टीवी चैनलों पर डिबेट में भाजपा का पक्ष रखते हैं।  जानकारी के मुताबिक सियासत में आने से पहले जफर इस्लाम एक विदेशी बैंक में काम  करते थे और पीएम मोदी की राजनीति से प्रभावित होकर भाजपा में शामिल हुए थे।  इस साल मध्य प्रदेश में भाजपा का ऑपरेशन कमल सफल हुआ था और कहा जाता है कि इसकी जिम्मेदारी जफर इस्लाम को सौंपी गई थी और वह सिंधिया को कांग्रेस के खिलाफ बगावत करने में सफल रहे। इस साल मार्च के महीने में सिंधिया ने कांग्रेस से बगावत कर दी थी और अपने समर्थक 22 विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे।इसके बाद राज्य में कमलनाथ सरकार गिर गई थी।
 

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