असल में समाजवादी पार्टी अपने अस्तित्व के बाद सबसे मुश्किल दौर में खड़ी है। पार्टी के दिग्गज नेता पार्टी से किनारा कर रहे हैं। मुलायम सिंह यादव ने अस्सी के दशक के अंतिम सालों में सपा का गठन किया था और उसके बाद पार्टी चार पर सत्ता में रही। लेकिन आज पार्टी की स्थिति ये है कि उसके लोकसभा में पांच सदस्य हैं और राज्य विधानसभा में 47 विधायक।
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव आज लखनऊ में दो साल के बाद पत्रकारों से रूबरू होंगे। समाजवादी पार्टी की अखिलेश के हाथों में कमान आने के बाद मुलायम सिंह ने सार्वजनिक तौर पर पत्रकारवार्ता से दूरी रखी रखी थी। लेकिन इस बार वह फिर मीडिया से मुखातिब होंगे।
लिहाजा कयास लगाए जा रहे हैं कि मुसीबत के बीच खड़ी पार्टी को फिर से स्थापित करने को लेकर वह पत्रकारों से बातचीत करेंगे। वहीं ये भी कहा जा रहा है कि पार्टी का अस्तित्व बचाने के लिए मुलायम सिंह यादव प्रदेश सरकार के खिलाफ किसी रणनीति का ऐलान कर सकते हैं।
असल में समाजवादी पार्टी अपने अस्तित्व के बाद सबसे मुश्किल दौर में खड़ी है। पार्टी के दिग्गज नेता पार्टी से किनारा कर रहे हैं। मुलायम सिंह यादव ने अस्सी के दशक के अंतिम सालों में सपा का गठन किया था और उसके बाद पार्टी चार पर सत्ता में रही। लेकिन आज पार्टी की स्थिति ये है कि उसके लोकसभा में पांच सदस्य हैं और राज्य विधानसभा में 47 विधायक।
जबकि मंदिर आंदोलन के दौर में पार्टी को अच्छी सीटें मिली हैं। वहीं मुलायम परिवार में दो फाड़ हो चुके हैं। मुलायम सिंह के छोटे भाई शिवपाल सिंह ने अपनी अलग पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी( लोहिया) बना ली है और लोकसभा चुनाव में प्रसपा ने समाजवादी पार्टी को कई सीटों पर नुकसान पहुंचाया है। जब से अखिलेश यादव ने पार्टी कमान अपने हाथों में ली है तब से पार्टी लगातार चुनावों में हार रही है।
वहीं सपा के दिग्गज नेता आजम खान कानूनी जाल में फंसे हुए है। जबकि पार्टी के भीतर ही अखिलेश यादव पर पार्टी को गर्त में ले जाने के आरोप लग रहे हैं। लेकिन लखनऊ की सत्ता के गलियारों में चर्चा इस बात की हो रही है कि आखिर खराब स्वास्थ्य के बाद भी मुलायम प्रेस कांन्फ्रेंस क्यों कर रहे हैं।
क्या सपा संरक्षक सपा सांसद आजम खान पर भैंस चोरी करने से लेकर जमीन कब्जाने सहित दर्ज मुकदमों को लेकर अपनी बात रखेंगे या फिर सपा को फिर से मजबूत करने के लिए यूपी सरकार के खिलाफ कोई रणनीति का खुलासा करेंगे। या फिर पार्टी के भीतर अपने ही नेताओं के निशाने पर आ रहे अखिलेश यादव की ढाल बनकर उन्हें राजनीति करने के गुर सिखाएंगे।