तीन तलाक की तरह 'खतना प्रथा' का भी करें विरोध, मुस्लिम महिलाओं ने उठाई आवाज

Published : Feb 07, 2019, 02:14 PM IST
तीन तलाक की तरह 'खतना प्रथा' का भी करें विरोध, मुस्लिम महिलाओं ने उठाई आवाज

सार

तीन तलाक का विरोध कर रही मुस्लिम महिलाएं अब महिलाओं में खतने की प्रथा को रोकने के लिए आवाज उठा रही हैं। महिलाओं का कहना है कि ये मुद्दा राजनीतिक दलों के घोषणा पत्र का हिस्सा होना चाहिए। 

तीन तलाक का विरोध कर रही मुस्लिम महिलाएं अब महिलाओं में खतने की प्रथा को रोकने के लिए आवाज उठा रही हैं। महिलाओं का कहना है कि ये मुद्दा राजनीतिक दलों के घोषणा पत्र का हिस्सा होना चाहिए। ताकि तीन तलाक की तरह इसके लिए भी कानून बने। मुस्लिम महिलाओं का कहना है कि अगर राजनैतिक दलों को उनका वोट चाहिए तो वह इस प्रथा के खिलाफ उनके साथ आवाज उठाएं।

बोहरा समुदाय की महिलाओं के एक समूह ने राजनीतिक दलों से आग्रह किया किया कि वे मुस्लिम समुदाय में प्रचलित महिलाओं के खतना की प्रथा को खत्म करने के लिए पहल करे और इसे अपने चुनावी घोषणापत्र में शामिल करें। महिलाओं का कहना है कि जिस तरह से सरकार ने तीन तलाक के लिए कानून बनाया है। इसी तरह से वह महिलाओं में खतने के खिलाफ भी उनकी आवाज में भागीदार बने। महिला खतना के खिलाफ जीरो टॉलरेंस के अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ पर महिलाओं ने यह आवाज उठायी है। 

हर साल छह फरवरी को जीरो टॉलरेंस पर अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है संयुक्त राष्ट्र ने इस प्रथा को मानवाधिकार हनन की श्रेणी में रखा है। लिहाजा महिलाएं इसे खतम करने की मांग कर रही हैं। महिला खतना की शिकार हुई महिलाओं के निजी संगठन ‘‘वीस्पीकआउट’ की ओर से जारी बयान में कहा गया है, तमाम राजनीतिक दल महिला अधिकारों और कन्या शिशु की जीवन रक्षा की बात करते हैं। लेकिन इस मुद्दे पर कोई बात नहीं करता है। हम सभी राजनैतिक दलों से पूछना चाहते हैं कि इस मुद्दे पर उनका क्या रूख है।

वह क्या ईमानदारी से इसे खत्म करने की दिशा में सोच रहे हैं या वह हमारी पहल का समर्थन करते हैं। वह इस पर प्रतिबंध का समर्थन करेंगे। उन्होंने कहा कि जो इसका समर्थन करेगा वह वह हमारा वोट पाने के अधिकारी हैं। महिलाओं का कहना है कि इस साल लोकसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में यह मुद्दा राजनीतिक दलों के घोषणापत्र का हिस्सा होना चाहिए। भारत के सभी नेता बोहरा महिलाओं की अपील सुनें और महिला खतना समाप्त करने के लिए कदम उठाएं। महिला खतन उनके एजेंडे का हिस्सा होना चाहिए।

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