जानें क्यों पड़ोसी मुल्क म्यांमार में है इंटरनेट ब्लैकआउट

By Team MyNationFirst Published Jun 26, 2019, 11:32 AM IST
Highlights

 पिछले कुछ सालों में म्यांमार में रोहिंग्या और वहां के मूल निवासियों में झपड़े चल रही हैं। असल में बांग्लादेश के मूल निवासी रोहिंग्या वहां पर जाकर स्थापित हो गए हैं। जिसके कारण वहां के मूल निवासियों को कई राज्यों से पलायन पड़ा पड़ रहा है। 

पड़ोसी देश म्यांमार की सरकार ने देश के दो राज्यों में इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस तरह के प्रतिबंध को इंटरनेट ब्लैकआउट कहा जाता है। हालांकि इस पर संयुक्त राष्ट्र ने चिंता जताई है। म्यांमार सरकार वहां पर रोहिंग्याओं आतंकियों और विरोधियों के खिलाफ कड़े कदम उठा रही है। क्योंकि देश के कई हिस्सों पर रोहिंग्या सरकार विरोधी कार्यों में लिप्त हैं और आतंकी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।

म्यांमार सरकार ने देश में इस महीने बीस तारीख से परिवहन और संचार मंत्रालय के तहत आने वाले मोबाइल प्रोवाइडर को रखाइन और चिन प्रांतों के नौ शहरों में सेवाओं को अस्थायी तौर पर बंद करने का आदेश दिया है। सरकार ने ये आदेश क्यों दिया इसकी कोई जानकारी नहीं है। लेकिन संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को लगता है कि वहां कि सरकार रोहिंग्याओं का दमन कर रही है।

पिछले कुछ सालों में म्यांमार में रोहिंग्या और वहां के मूल निवासियों में झपड़े चल रही हैं। असल में बांग्लादेश के मूल निवासी रोहिंग्या वहां पर जाकर स्थापित हो गए हैं। जिसके कारण वहां के मूल निवासियों को कई राज्यों से पलायन पड़ा पड़ रहा है। रोहिंग्या मूल निवासियों के कारोबार में कब्जा कर रहे हैं। लिहाजा अब वहां के मूल निवासियों ने रोहिंग्याओं के खिलाफ एक तरह से लड़ाई छेड़ी है।

असल में म्यांमार में अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुस्लिमों से ताल्लुक रखने वाला एक गुरिल्ला गुट सक्रिय है। जो वहां आतंकी घटनाओं को अंजाम देता है। म्यांमार में संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार मामलों के विशेष दूत यांघी ली ने कहा कि वहां पर सेना ने आतंकियों और विरोधियों का सफाई अभियान चलाया है। जिसके कारण इंटरनेट ब्लैकआउट किया गया है।

उन्होंने आशंका जताई की मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाओं को छुपाने के लिए हो सकता है कि इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गयी हों। गौरतलब है कि दो साल पहले म्यांमार ने देश में विरोधी गुटों के खिलाफ अभियान शुरू किया था। जिसके बाद करीब सात लाख से ज्यादा रोहिंग्या देश छोड़कर अन्य देशों में चले गए थे।

click me!