अपने बयान में सिद्धू ने कहा कि आतंक का समाधान शांति, विकास और प्रगति है, बेरोजगारी, घृणा और भय नहीं। कांग्रेसी नेता ने यह बयान ऐसे समय दिया जब उनके मित्र और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने शांति की बात की थी और सीमा पर बढते तनाव के बीच भारत को बातचीत का न्यौता दिया था।
पंजाब सररकार में मंत्री और कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू का पाकिस्तान प्रेम कम नहीं हो रहा है। सिद्धू का मानना है कि सरकार को पाकिस्तान के साथ बात करनी चाहिए। सीमा पर जारी तनाव के बीच सिद्धू इस बात पर जोर दे रहे हैं कि सीमापार सक्रिय आतंकी संगठनों के संबंध में दीर्घकालिक समाधान खोजने के लिए बातचीत और कूटनीतिक दबाव अहम होगा।
सिद्धू ने 'वी हैव ए च्वाइस (हमारे पास विकल्प है) शीर्षक के दो पेज के बयान में कहा, ''मैं अपने इस विश्वास के साथ खड़ा हूं कि सीमा के अंदर और इसके पार से संचालित आतंकी संगठनों की उपस्थिति और गतिविधियों का दीर्घकालिक समाधान खोजने में बातचीत और कूटनीति दबाव अहम भूमिका निभाएगा।
अपने बयान में सिद्धू ने कहा कि आतंक का समाधान शांति, विकास और प्रगति है, बेरोजगारी, घृणा और भय नहीं। कांग्रेसी नेता ने यह बयान ऐसे समय दिया जब उनके मित्र और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने शांति की बात की थी और सीमा पर बढते तनाव के बीच भारत को बातचीत का न्यौता दिया था।
उन्होंने कहा कि वह इस सिद्धांत के साथ मजबूती से खड़े हैं कि कुछ लोगों की गतिविधियों के लिए पूरे समुदाय को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
वहीं, कांग्रेस ने पाकिस्तान के साथ बातचीत की पैरवी करने संबंधी अपने नेता नवजोत सिंह सिद्धू के बयान को 'व्यक्तिगत बयान करार देते हुए कहा कि इस्लामाबाद के साथ वार्ता करने के अनुकूल माहौल नहीं है। पार्टी ने यह भी कहा कि पाकिस्तान पिछले चार दशकों से भारत के खिलाफ आतंकवाद को प्रोत्साहित करता रहा है और बातचीत से पहले इस आतंकवाद पर पूरी तरह विराम लगना चाहिए।
कांग्रेस ने सिद्धू के बयान से खुद को अलग करते हुए कहा कि बातचीत करने का, एक माहौल होता है बातचीत करने का, आज वो माहौल नहीं है। अगर सरदार नवजोत सिंह सिद्धू की कोई और राय है तो यह उनकी व्यक्तिगत राय हो सकती है, वो कांग्रेस पार्टी की राय नहीं है।
गौरतलब है कि पुलवामा में 14 फरवरी को पाकिस्तान के एक आतंकी संगठन के आत्मघाती हमले में 40 सीआरपीएफ जवानों के शहीद होने की घटना की कड़ी निंदा करते हुए सिद्धू ने सवाल किया था कि क्या कुछ लोगों की गतिविधियों के लिए पूरे देश को जिम्मेदार ठहराया जा सकता। उनकी इस टिप्पणी की कई नेताओं ने आलोचना की थी।