अब कर्नाटक के स्कूली किताबों से हटेगा टीपू सुल्तान, कांग्रेस करेगी विरोध

By Team MyNation  |  First Published Oct 29, 2019, 7:55 AM IST

असल में भाजपा और उससे जुड़े दल स्कूली पाठ्यक्रमों में टीपू सुल्तान को पढ़ाए जाने का विरोध करते हैं। जबकि कांग्रेस इसके जरिए अल्पसंख्यकों की राजनीति को साधती है। भाजपा और मैसूर के भूतपूर्व राजा को ‘धार्मिक कट्टर’ बताते हैं। क्योंकि सत्ता आने के बाद टीपू सुल्तान ने धर्मांतरण को बढ़ावा दिया था। हालांकि कांग्रेस इस बात को इत्तेफाक नहीं रखती है। राज्य की सत्ता में आते ही भाजपा सरकार ने जुलाई में टीपू सुल्तान की जयंती के कार्यक्रम को रद्द कर दिया।

बेंगलुरु। कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनते ही अब जल्द ही सरकारी स्कूली किताबों से टीपू सुल्तान का अध्याय हटाए जाने की तैयारी है। इसके लिए शिक्षा मंत्री ने रिपोर्ट तलब की है। इसके बाद इसे पाठ्यक्रमों से हटाए जाने का फैसला किया जाएगा। हालांकि ये तय है कि कांग्रेस इसे मुद्दा बनाकर सरकार को घेरेगी।

असल में भाजपा और उससे जुड़े दल स्कूली पाठ्यक्रमों में टीपू सुल्तान को पढ़ाए जाने का विरोध करते हैं। जबकि कांग्रेस इसके जरिए अल्पसंख्यकों की राजनीति को साधती है। भाजपा और मैसूर के भूतपूर्व राजा को ‘धार्मिक कट्टर’ बताते हैं। क्योंकि सत्ता आने के बाद टीपू सुल्तान ने धर्मांतरण को बढ़ावा दिया था। हालांकि कांग्रेस इस बात को इत्तेफाक नहीं रखती है। राज्य की सत्ता में आते ही भाजपा सरकार ने जुलाई में टीपू सुल्तान की जयंती के कार्यक्रम को रद्द कर दिया।

हालांकि राज्य में सरकार बनते ही विधायकों ने टीपू सुल्तान को पाठ्यक्रमों से हटाने के लिए सीएम बीएस येदियुरप्पा को पत्र लिखा था। लेकिन अब सरकार जल्द ही इस पर फैसले लेने जा रही है। इसके लिए भाजपा विधायक ए.रंजन ने इतिहास की पाठ्यपुस्तकों से टीपू सुल्तान आधारित अध्याय को हटाने की मांग की थी। लिहाजा अब राज्य के प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा मंत्री ने कर्नाटक पाठ्यपुस्तक सोसायटी के प्रबंध निदेशक को इसके लिए पत्र लिखा है। ताकि इस पर फैसला किया जा सके।

इसके लिए मंत्री सुरेश कुमार ने अधिकारियों से इस मामले में तीन दिन में अपनी रिपोर्ट दें। उधर इस मामले को उठाने वाले विधायक रंजन का कहना है कि टीपू ने हजारों इसाइयों और कोडावा लोगों को जबरन इस्लाम धर्म अपनाने के लिए मंजूर किया। यही नहीं हजारों मंदिरों तोड़ा गया और हिंदूओं को टैक्स लगाया गया। टीपू सुल्तान अपना प्रशासन फारसी भाषा में चलाते थे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के मिडिल स्कूलों की इतिहास की पाठ्य पुस्तकों में टीपू सुल्तान पर एक अध्याय है और पूर्व की सरकार ने उसे महिमामंडित किया है।

लेकिन अब जरूरत है कि सच्चाई सबके सामने आए। असल में इसी साल सत्ता में आने के फौरन बाद भाजपा सरकार ने टीपू सुल्तान की जयंती के कार्यक्रम को रद्द कर दिया। भाजपा इसका विरोध 2015 से कर रही है। तब राज्य में कांग्रेस की सरकार थी और अल्पसंख्यकों को लुभाने के लिए कांग्रेस ने इसका आयोजन शुरू किया था। हालांकि इससे पहले राजस्थान की कांग्रेस सरकार अकबर को महान बता चुकी है। जिसे बाद में भाजपा सरकार ने बदल दिया था और अब फिर राज्य की सत्ता पर काबिज होने के बाद कांग्रेस ने स्कूली पाठ्यक्रमों में अकबर महान का अध्याय शुरू कर रही है।

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