अंधविरोध में भूल गए पत्रकारिता के वास्तविक मूल्य

By Siddhartha Rai  |  First Published Sep 19, 2018, 8:12 PM IST

पत्रकारिता का एक सर्वमान्य सिद्धांत है, कि कभी भी गलत तथ्यों के आधार पर कोई भी रिपोर्ट नहीं फाइल की जाती। लेकिन प्रधानमंत्री के विरोध में वामपंथी विचारधारा के कुछ मीडिया संस्थान इस मूल सिद्धांत को भुला दिया और तथ्यों को तोड़मरोड़कर पेश किया। 

नई दिल्ली- मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की एक सभा हुई। जिसके बाद कुछ गायों की मौत की खबर आई। वामपंथी विचार वाले कुछ मीडिया संस्थानों ने तुरंत इन दो घटनाओं को जोड़ दिया और गायों की मौत का जिम्मेदार प्रधानमंत्री को बताने के लिए मुहिम छेड़ दी।  

लेकिन जब सच सामने आया तो इनकी पोल खुल गई। मामला चूंकि गायों की मौत का होने के साथ साथ प्रधानमंत्री से भी जुड़ा हुआ था, इसलिए इस मामले में जिला प्रशासन ने पूरी बारीकी से जांच की।
वामपंथी मीडिया संस्थानों ने आरोप लगाया, कि मध्य प्रदेश के पीपल्याकुल्मी गांव  प्रधानमंत्री के ‘स्वच्छता ही सेवा’ कार्यक्रम के लिए 450 गायों को गोशाला से हटाकर मण्डी परिसर में भेज दिया गया। जिसकी वजह से आठ गायों की मौत हो गई। 

प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के लिए देश के अलग अलग हिस्सों से लोगों की बातचीत पीएम मोदी से कराई गई थी। पीपल्याकुल्मी गांव में इस कार्य के लिए गोशाला का चयन किया गया था। जहां लोग इकट्ठे हुए थे। 
लेकिन जिला प्रशासन की जांच में राज खुला, कि आठ गायों की मौत हुई ही नहीं थी, बल्कि दो गायें मरीं थीं, वह भी बीमारी की वजह से।

इस बारे में मच्छलपुर जोन के वेटनरी डॉक्टर जगदीश राठौर ने बकायदा अपनी रिपोर्ट पेश की। जिसमें कहा गया, कि ‘यह दोनों गायें प्रधानमंत्री के कार्यक्रम से एक दिन पहले से ही बीमार थीं और इनकी मौत कार्यक्रम शुरु होने से पहले सुबह ही हो गई थी’। 

‘इन बीमार गायों का इलाज एंटीबायोटिक्स और फ्लूड थेरेपी के जरिए करने की कोशिश की गई। लेकिन गायों को बचाया नहीं जा सका और 15 सितंबर की सुबह उनकी मौत हो गई’

वामपंथी मीडिया संस्थानों का दूसरा आरोप था, कि 450 गायों को नवीन गायत्री गोशाला से मंडी परिसर में ले जाया गया जिसकी वजह से उनकी मौत हुई। लेकिन यह आरोप भी आधारहीन था। क्योंकि रिपोर्ट फाइल करने वाले ने मंडी परिसर को किसी बंद और छोटी जगह समझा। 

लेकिन जिला प्रशासन ने बताया, कि मंडी परिसर 6 हेक्टेयर की खुली हुई जगह है। जहां आस पास के इलाके के ग्रामीण अक्सर अपने पशुओं लाकर छोड़ देते हैं। क्योंकि यहां चराई की जमीन और घास पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।    
राजगढ़ के जिलाधिकारी ने इसकी जांच के लिए छह सदस्यों की कमिटी बनाई, जिसने मंडी परिसर का दौरा करने के बाद इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया। 

इस रिपोर्ट में यह साफ लिखा हुआ है कि ‘पीपल्याकुल्मी गांव’ में स्थित मंडी के नाम से 6 हेक्टेयर से अदिक की भूमि का खुला हुआ मैदान है, जहां हरी घास उपलब्ध है तथा उसका उपयोग चरनौई की भूमि के रुप में गांव वालों द्वारा पशुओं को चराने के लिए किया जाता है। इस परिसर में किसी तरह की मंडी गतिविधियों का संचालन नहीं होता’। 

‘गोशाला द्वारा नियमित रुप से प्रतिदिन सुबह 9 बजे सभी गायों को घूमने के लिए मंडी की भूमि पर छोड़ा जाता है। उसी समय प्रतिदिन गोशाला की साफ सफाई और गोबर उठाने का काम होता है’
रिपोर्ट में यह साफ लिखा हुआ है, कि ‘गोशाला की गायों के अलावा यहां पर दूसरे गांव वाले भी अपनी फसलों को बचाने के लिए अपने पशुओं को यहां छोड़ते हैं’। ‘इससे यह साफ है कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के कारण गोशाला की गायों को मंडी में बंद किया गया। यह गलत है’

जिला प्रशासन की इस रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो जाता है, कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम की वजह से आठ गायों की मौत का आरोप झूठा और आधारहीन है। 

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