पाकिस्तान को नहीं बचा पाएगी नियाजी और ड्रैगन की चालबाजी !

By Team MyNation  |  First Published Feb 1, 2020, 11:21 AM IST

फिलहाल पाकिस्तान की नियाजी सरकार ने एक बार फिर एफएटीएफ के सामने झूठ बोला। हालांकि एफएटीएफ की एपीजी संस्था पहले ही पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट कर चुकी है। लेकिन पाकिस्तान हर बार की तरह चीन बचा रहा है। लेकिन बीजिंग में चीन इस बार लाख चाहने के बावजूद किसी भी तरह की मदद नहीं कर सका। हालांकि उसने भी पाकिस्तान के पक्ष में कई तरह की दलील पेश की थी।

नई दिल्ली। पाकिस्तान की  आर्थिक मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। माना जा रहा है कि पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में फिलहाल बना रहेगा। क्योंकि पाकिस्तान ने वादे एफएटीएफ से किए थे, वह उन पर कार्यवाही नहीं कर सका। हालांकि पाकिस्तान ने बींजिंग में दावा किया था कि उसने कार्यवाही की है और इसमें उसका साथ उसके आका चीन ने भी दिया था। लेकिन पाकिस्तान की दलीलों से एफएटीएफ संतुष्ट नहीं है। क्योंकि उसने अपने आंतरिक सूत्रों के जरिए पाकिस्तान की जांच कराई। जिसमें ये साफ हुआ है कि पाकिस्तान महज दिखावा कर रहा है।

फिलहाल पाकिस्तान की नियाजी सरकार ने एक बार फिर एफएटीएफ के सामने झूठ बोला। हालांकि एफएटीएफ की एपीजी संस्था पहले ही पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट कर चुकी है। लेकिन पाकिस्तान हर बार की तरह चीन बचा रहा है। लेकिन बीजिंग में चीन इस बार लाख चाहने के बावजूद किसी भी तरह की मदद नहीं कर सका। हालांकि उसने भी पाकिस्तान के पक्ष में कई तरह की दलील पेश की थी। लेकिन एफएटीएफ उससे संतुष्ट नहीं हुआ।

माना जा रहा है कि अतंरराष्ट्रीय वाचडॉग एफएटीएफ अपनी आगामी बैठक में एक बार फिर पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में ही रखेगा। पिछली बार भी पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में था और इस बार उसका पूरा जोर ग्रे लिस्ट से निकलना था। ताकि उसे अंतरराष्ट्रीय वित्तीस संस्थानों से कर्ज मिल सके। यही नहीं पिछले दिनों पाकिस्तान के पीएम इमरान खान भी अमेरिका  के सामने ग्रे लिस्ट से बाहर निकालने के लिए गिड़गिरा चुके हैं। लेकिन अमेरिका ने साफ कर दिया था कि इसके लिए पाकिस्तान को ही काम करना होगा।

अमेरिका ने यहां तक कह दिया था कि अगर पाकिस्तान अपने देश में आतंकियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं करता है और वह ब्लैक लिस्ट में आता है तो ये पाकिस्तान के लिए विनाशकारी होगा। पाकिस्तान  लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, तालिबान और अल-कायदा जैसे आतंकी संगठनों को आर्थिक तौर पर मदद करना है और अभी तक वह आर्थिक मदद को बंद नहीं कर सका है।


 

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