नीतीश ने प्रशांत किशोर और पवन वर्मा को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया, पीके बोले थैंक्स

By Team MyNationFirst Published Jan 29, 2020, 5:43 PM IST
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वहीं पार्टी से  बर्खास्त होने के कुछ समय बाद, किशोर ने पार्टी प्रमुख नीतीश कुमार को धन्यवाद दिया है। उन्होंने ट्विटर पर नीतीश कुमार को तंज कसते हुए लिखा है कि“बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी को बनाए रखने के लिए आपको मेरी शुभकामनाएं। भगवान आपका भला करे, ”।
 

पटना। नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष नीतीश कुमार पर लगातार हमले कर रहे पार्टी के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर और महासचिव पवन वर्मा को पार्टी से निष्कासित कर दिया। पटना में नीतीश कुमार के आवास पर हुई बैठक के बाद इसका फैसला किया गया। हालांकि दो दिन पहले ही प्रशांत किशोर ने पटना जाकर सीएम नीतीश कुमार से मिलने की बात कही थी। लेकिन नीतीश कुमार ने इसके जरिए पार्टी में अपने विरोधियों को कड़ा संदेश दिया है।

वहीं पार्टी से  बर्खास्त होने के कुछ समय बाद, किशोर ने पार्टी प्रमुख नीतीश कुमार को धन्यवाद दिया है। उन्होंने ट्विटर पर नीतीश कुमार को तंज कसते हुए लिखा है कि“बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी को बनाए रखने के लिए आपको मेरी शुभकामनाएं। भगवान आपका भला करे, ”।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जनता दल यूनाइटेड के प्रमुख भी हैं। लिहाजा प्रशांत किशोर के पार्टी से बाहर जाने के बाद ये तय हो गया है कि नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर को लेकर दोनों के बीच कुछ सही नहीं चल रहा था। चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर के बीच दरार मंगलवार को खुले तौर पर सबके सामने आ गई थी। जब कुमार ने दावा किया था कि जेडी (यू) सुप्रीमो पर झूठ बोल रहे हैं कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की सिफारिश पर उन्हें पार्टी में शामिल किया गया था।

पार्टी के मुख्य महासचिव के सी त्यागी द्वारा जारी इस बारे में रिलीज जारी कहते हुए कहा कि दोनों "पार्टी के फैसलों के साथ-साथ कामकाज के खिलाफ" कार्य कर रहे थे, जो अनुशासनहीनता है। गौरतलब है कि प्रशांत किशोर और पवन वर्मा ने नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ था। जिसको लेकर पार्टी असहज महसूस कर रही थी। पिछले सप्ताह पार्टी के महासचिव पवन वर्मा ने कुमार को लिखे एक पत्र को सार्वजनिक किया।

पवन ने दिल्ली विधानसभा चुनाव भाजपा के साथ  लड़ने के उनकी पार्टी के फैसले पर भी सवाल उठाया था। वहीं प्रशांत किशोर नीतीश कुमार के खिलाफ बयान दे रहे थे। असल में  प्रशांत किशोर को लग रहा था कि नीतीश कुमार उनके खिलाफ कार्यवाही नहीं करेंगे। क्योंकि पीके को नीतीश कु्मार का करीबी माना जाता था।
 

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