पुलवामा हमले के बाद विपक्षी दलों पर एक मंच में आने का बढ़ा दबाव, दिल्ली में मंगलवार को सकती है बैठक

By Team MyNation  |  First Published Feb 24, 2019, 5:12 PM IST

पुलवामा हमले के बाद देश में भाजपा सरकार के पक्ष में उभरी संवेदना को देखते हुए विपक्षी दलों में खलबली मची हुई है। मौजूदा राजनैतिक परिस्थितियों को देखते हुए नरेन्द्र मोदी व अमित शाह की जोड़ी के खिलाफ एक मंच बनाने के लिए सभी विपक्षी दलों के नेता अगले हफ्ते दिल्ली में अहम बैठक करने जा रहे हैं।

पुलवामा हमले के बाद देश में भाजपा सरकार के पक्ष में उभरी संवेदना को देखते हुए विपक्षी दलों में खलबली मची हुई है। मौजूदा राजनैतिक परिस्थितियों को देखते हुए नरेन्द्र मोदी व अमित शाह की जोड़ी के खिलाफ एक मंच बनाने के लिए सभी विपक्षी दलों के नेता अगले हफ्ते दिल्ली में अहम बैठक करने जा रहे हैं। हालांकि अभी तक विपक्षी दलों की कई बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन पुलवामा हमले के बाद ये बैठक काफी अहम है।

आगामी लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष के बड़े नेता अगले हफ्ते राजधानी दिल्ली में जुटने जा रहे हैं। शाह और मोदी की जोड़ी को फिर से दिल्ली फतह से रोकने के लिए विपक्षी दलों के नेता फिर से एक मंच पर होंगे। ऐसा माना जा रहा कि  इस बैठक में जहां भाजपा से निपटने के लिए महागठबंधन की कोशिशों पर विचार विमर्श होगा, वहीं पुलवामा हमले का राजनीतिक फायदा उठाने की भाजपा की कोशिशों को रोकने की रणनीति भी बनाई जाएगी।

सभी विपक्षी नेता आगामी 26 फरवरी को मिलेंगे और इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, राकांपा नेता शरद पवार, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चन्द्र बाबू नायडू, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, शरद यादव समेत सपा और बसपा नेताओं के शामिल होने की उम्मीद की जा रही है। सभी विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने की कोशिशें पहले भी हो चुकी हैं। गौरतलब है कि भाजपा को रोकने के पिछले दिनों दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की रैली में सभी विपक्षी दलों के नेता एकत्रित हुए थे और बाद में राकांपा नेता शरद पवार के यहां विपक्ष के तमाम दिग्गज बैठे थे। हालांकि उस वक्त आगामी लोकसभा चुनाव के लिए किसी भी तरह की सहमति नहीं बना सकी थी।

लेकिन पुलवामा के आंतकी हमले ने सभी विपक्षी दलों को एक मंच पर आने के लिए मजबूर कर दिया। उस समय यह तय किया गया था कि लोकसभा चुनाव की रणनीति को लेकर साझा विपक्ष लगातार मिलता रहेगा। पुलवामा की घटना के बाद राजनीतिक हालात तेजी से बदले हैं और भाजपा-संघ की पूरी कोशिश इस घटना का राजनीतिक फायदा उठाने की है। भाजपा की आक्रामक ताजा रणनीति को देखते हुए विपक्ष सकते में है और माना जा रहा है कि इस बैठक में भाजपा की इस रणनीति की काट के लिए मंथन किया जाएगा। 

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