‘पटेल और बोस को नेतृत्व मिला होता तो अलग होती देश की परिस्थितियां’

By Team Mynation  |  First Published Oct 21, 2018, 11:39 AM IST

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के इतिहास की विडंबना पर यह तीखा व्यंग्य, आजाद हिंद फौज की स्थापना के 75 साल पूरे होने पर आयोजित एक कार्यक्रम में किया। हालांकि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा किस ओर था, यह समझना बिल्कुल मुश्किल नहीं था। 

आजादी के बाद अगर सरदार वल्लभ भाई पटेल सुभाषचंद्र बोस को देश का नेतृत्व सौंपा जाता, तो देश की परिस्थितियां ही कुछ और होतीं। 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के इतिहास की विडंबना पर यह तीखा व्यंग्य, आजाद हिंद फौज की स्थापना के 75 साल पूरे होने पर आयोजित एक कार्यक्रम में किया। 

हालांकि उन्होंने प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा किस ओर था, यह समझना बिल्कुल मुश्किल नहीं था। 

इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले से राष्ट्रीय ध्वज का आरोहण किया। 

उन्होंने कहा कि 75 साल पहले देश से बाहर बनी आजाद हिंद सरकार अखंड भारत की सरकार, अविभाजित भारत की सरकार थी। 

उन्होंने अपने संबोधन में देश के सबसे पुराने दल में जारी परिवारवाद पर जमकर निशाना साधा। 

पीएम मोदी ने नेहरु-गांधी खानदान का बिना नाम लिए कहा, कि एक परिवार को बड़ा बनाने के लिए देश के अनेक सपूतों चाहे सरदार पटेल हो, बाबा साहब अंबेडकर हों, या फिर नेताजी सुभाषचंद्र बोस इन सभी का योगदान को भुलाने की कोशिश की गई। 

इसी कड़ी में पीएम ने कहा, कि आजादी के बाद अगर पटेल और बोस का नेतृत्व मिलता तो स्थितियां अलग होतीं। 

पीएम मोदी ने लाल किले पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि देशवासियों को आजाद हिंद सरकार के 75 वर्ष पूरे होने पर बधाई देता हूं। मोदी ने कहा, 'आजाद हिंद सरकार केवल नाम नहीं था। नेताजी के नेतृत्व में इस सरकार ने हर क्षेत्र में नई योजना बनाई थी। इस सरकार का अपना बैंक था, अपनी मुद्रा थी, अपना डाक टिकट था, गुप्तचर सेवा थी। कम संसाधन में ऐसे शासक के खिलाफ लोगों को एकजुट किया जिसका सूरज नहीं ढलता था। वीरता के शीर्ष पर पहुंचने की नींव नेताजी के बचपन में ही पड़ गई थी।' 

मोदी ने सुभाष चंद्र बोस की उस चिट्ठी का जिक्र किया जो उन्होंने किशोर अवस्था में अपनी मां को लिखी थी। मोदी ने कहा, 'सुभाष बाबू ने मां को चिट्ठी लिखी। उन्होंने 1912 के आसपास चिट्ठी लिखी थी। उस समय ही उनमें गुलाम भारत को लेकर वेदना थी। उस समय वह सिर्फ 15-16 साल के थे। 

उन्होंने मां से पत्र में सवाल पूछा था कि मां क्या हमारा देश दिनों दिन और अधिक पतन में गिरता जाएगा। क्या इस दुखिया भारत माता का एक भी पुत्र ऐसा नहीं है जो पूरी तरह अपने स्वार्थ की तिलांजलि देकर अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दे। बोलो मां हम कबतक सोते रहेंगे? 

पीएम मोदी ने कहा, 'इसी लाल किले पर आजाद हिंद फौज के सेनानी शाहनवाज खान ने कहा था कि सुभाष चंद्र बोस ऐसे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने भारत होने का एहसास उनके मन में जगाया। ऐसी क्या परिस्थितियां जीं जो शाहनवाज खान को यह बात कहनी पड़ी। 

कैंब्रिज के अपने दिनों को याद करते हुए सुभाष चंद्र ने लिखा है कि हमें सिखाया जाता था कि यूरोप ग्रेटब्रिटेन का रूप है, इसलिए यूरोप को ब्रिटेन के चश्मे से देखने की आदत है। आजादी के बाद भी लोगों ने इंग्लैंड के चश्मे से देखा। हमारी व्यवस्था, हमारी परंपरा, हमारी संस्कृति, हमारी पाठ्य पुस्तकों को इसका नुकसान उठाना पड़ा।' 

पीएम मोदी ने जानकारी दी कि हमारी सरकार ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस के नाम पर राष्ट्रीय सम्मान देने की घोषणा की है। 

यह नेताजी जैसे देश के सबसे विराट व्यक्तित्व वाली विभूति का वास्तविक सम्मान है। 

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