झारखंड में कम हो रही रघुवर दास की सियासी ताकत

By Team MyNation  |  First Published Mar 14, 2020, 10:26 AM IST

बहरहाल रघुवर दास का राज्यसभा का टिकट प्रबल दावेदार माना जा रहा है। लेकिन ऐन वक्त में टिकट कटने के कई मायने हैं। असल में रघुवर दास को लेकर पार्टी में काफी नाराजगी है। जिसके कारण पार्टी आलाकमान ने उनका टिकट काटा है। कहा जा रहा है कि भाजपा के पास राज्यसभा के लिए जरूरी आंकड़ा नहीं है।

रांची। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को भारतीय जनता पार्टी ने राज्यसभा का टिकट नहीं दिया जबकि उनकी जगह पर हाल ही में भाजपा में लौटे बाबू लाल मरांडी के करीबी माने जाने वाले दीपक प्रकाश को राज्यसभा का प्रत्याशी घोषित किया है।  दीपक प्रकाश को पार्टी हाल ही में पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष की भी जिम्मेदारी भी दी है। बहरहाल पार्टी आलाकमान ने राज्य की राजनीति से दास को बाहर रखना चाहती है। ताकि राज्य में फिर से भाजपा को आदिवासी नेता के जरिए फिर से सत्ता पर काबिज किया जा सके।

बहरहाल रघुवर दास का राज्यसभा का टिकट प्रबल दावेदार माना जा रहा है। लेकिन ऐन वक्त में टिकट कटने के कई मायने हैं। असल में रघुवर दास को लेकर पार्टी में काफी नाराजगी है। जिसके कारण पार्टी आलाकमान ने उनका टिकट काटा है। कहा जा रहा है कि भाजपा के पास राज्यसभा के लिए जरूरी आंकड़ा नहीं है। लिहाजा उसे सहयोगी दलों के सहारे की जरूरत है। लेकिन  सहयोगी दलों ने साफ कर दिया है कि वह रघुवर दास को राज्यसभा के लिए समर्थन नहीं देंगे।

जिसके कारण दास का टिकट काटकर दीपक प्रकाश को टिकट दिया है। दास राज्य में मुख्यमंत्री और पांच साल तक उन्होंने अपने तरीके से सरकार को चलाया था और विधानसभा चुनाव से पहले सहयोगी दलों कि छिटकने के पीछे बड़ा कारण दास को ही बताया जा रहा है। यहां तक झारखंड में भाजपा के दिग्गज नेता माने जाने वाले सरयू राय ने भी पार्टी को अलविदा दास के कारण किया और राय ने विधानसभा चुना्व में दास को पटखनी भी दी।

कहा जा रहा है कि झारखंड में फिर से बाबूलाल मरांडी का दौर शुरू हो रहा है। पार्टी में वापसी के साथ ही पार्टी ने उन्हें विपक्ष का नेता नियुक्त किया है। वहीं अब पार्टी में उनके फैसलों पर ही अमल किया जा रहा है। पार्टी आलाकमान ने भी मरांडी को तवज्जो देना शुरू कर दिया है।  ये इस बात को समझा जा सकता है कि मरांडी अपने करीबी दीपक प्रकाश को प्रदेश अध्यक्ष बनाने में सफल रहे और अब उन्हें राज्यसभा का टिकट भी दिलाने में सफल रहे हैं।

जो इस बात का इशारा करता है कि पार्टी में मरांडी का कद तेजी से बढ़ रहा है।  वहीं इस बात का भी इशारा है कि अब राज्य बड़े फैसले बाबूलाल मरांडी की ही सहमति से होंगे। बहरहाल राज्य में भाजपा का गैर आदिवासी कार्ड फेल हो गया है और पार्टी ने फिर से आदिवासी पर दांव खेलने की रणनीति पर काम कर रही है। राज्य में अभी जेएमएम की सरकार है।

सरयू राय दे सकते हैं भाजपा को समर्थन

राज्यसभा चुनाव में भाजपा के पूर्व नेता सरयू राय अपना समर्थन दे सकते हैं। राय का दास के साथ छत्तीस का आंकड़ा है।  जबकि भाजपा को राज्यसभा सीट जीतने के लिए एक विधायक की जरूरत होगी। सरयू ने विधानसभा चुनाव में निर्दलीय चुनाव जीता था। जबकि दास के कारण ही पार्टी को अलविदा कहा था। कहा जा रहा है कि राय पार्टी को अपना समर्थन देने को तैयार है। राय संघ पृष्ठिभूमि के हैं और किसी दौर में पार्टी के दिग्गज नेता माने जाते  थे।

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