एक रिसॉर्ट में भेज दिया है। वहीं गुजरात के विधायक पहले से ही राजस्थान में ठहरे हुए हैं। राजस्थान में सत्ताधारी के बावजूद कांग्रेस को अपने ही घर में टूट का खतरा दिख रहा है और पिछले दो दिन से कांग्रेस अपने विधायकों को बचाने की कोशिश में जुटी है। कांग्रेस अपने नाराज विधायकों को मनाने की कोशिश कर रही है वहीं भाजपा पर कांग्रेस को तोड़ने का आरोप लगा रही है।
नई दिल्ली। राज्यसभा 19 जून को होने वाला चुनाव दिलचस्प हो गया है। तीन राज्यों में भाजपा के चक्रव्यूह में कांग्रेस फंसती दिख रही है। गुजरात के बाद राजस्थान और अब कर्नाटक में कांग्रेस भाजपा के बुने जाल में फंस गई है। कर्नाटक में एक निर्दलीय के मैदान में उतर जाने के बाद कांग्रेस और जेडीएस समर्थित पूर्व पीएम एचडी देवेगौड़ा की राह आसान नहीं होती दिख रही है। हालांकि कांग्रेस पहले से ही राजस्थान और कर्नाटक में उलझी है और भाजपा इन राज्यों में कांग्रेस के भीतर उभरी अंतर्कलह का फायदा उठाने की है।
गुजरात के बाद राजस्थान में कांग्रेस ने अपने विधायकों को सुरक्षित रखने के लिए एक रिसॉर्ट में भेज दिया है। वहीं गुजरात के विधायक पहले से ही राजस्थान में ठहरे हुए हैं। राजस्थान में सत्ताधारी के बावजूद कांग्रेस को अपने ही घर में टूट का खतरा दिख रहा है और पिछले दो दिन से कांग्रेस अपने विधायकों को बचाने की कोशिश में जुटी है। कांग्रेस अपने नाराज विधायकों को मनाने की कोशिश कर रही है वहीं भाजपा पर कांग्रेस को तोड़ने का आरोप लगा रही है। राजस्थान में तीन सीटों पर चुनाव होने हैं और भाजपा ने दो प्रत्याशियों को मैदान में उतार दिया है।
विधायकों की संख्या के आधार पर कांग्रेस को दो और भाजपा को एक सीट मिलनी तय है लेकिन भाजपा ने दो प्रत्याशियों को मैदान में उतार कर मुकालबा दिलचस्प बना दिया है। कांग्रेस ने भी दो प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है लेकिन पार्टी का एक गुट कांग्रेस प्रत्याशी केसी वेणुगोपाल को लेकर खुश नहीं है। राज्य में एक प्रत्याशी को जिताने के लिए 51 विधायकों की जरूरत है और कांग्रेस के पास 107 तो भाजपा के पास 75 विधायक हैं। वहीं भाजपा को दूसरे प्रत्याशी को जिताने के लिए 27 और विधायकों की जरूरत पड़ेगी। वहीं अब भाजपा ने कर्नाटक चुनाव में भी पेच फंसा दिया है। चार सीटों पर होने वाले चुनाव में भाजपा और कांग्रेस-जदएस को दो-दो सीटें मिल सकती हैं।
लेकिन भाजपा समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी संगमेश चिकनकरगुंडा के मैदान में उतरने से कांग्रेस और जेडीएस प्रत्याशी एचडी देवेगौड़ा की राह मुश्किल भरी हो गई है। कर्नाटक में एक प्रत्याशी को जिताने के लिए 45 विधायकों के समर्थन की जरूरत है और भाजपा के पास 117 विधायक हैं। दो प्रत्याशियों जीतने के बाद भाजपा के पास 27 अतिरिक्त वोट बचते हैं। वहीं एक बार फिर कांग्रेस में टूट का खतरा मंडरा रहा है। क्योंकि पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा को प्रत्याशी बनाने को लेकर राज्य का एक धड़ा नाराज है। लिहाजा राज्यसभा चुनाव में क्रास वोटिंग से नकारा नहीं जा सकता है।