दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा, सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के खिलाफ लगे ‘दुर्भावना’ के आरोप साबित नहीं होते।
दिल्ली हाईकोर्ट ने रिश्वत के आरोपों पर सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने से इनकार कर दिया है। इस फैसले के बाद सीबीआई में नंबर दो अधिकारी का अगला सीबीआई निदेशक बनना मुश्किल हो गया है।
जस्टिस नाजमी वजीरी ने सीबीआई के उपाधीक्षक देवेंद्र कुमार और कथित बिचौलिये मनोज प्रसाद के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने से भी इनकार किया। हाईकोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया कि अस्थाना एवं अन्य के खिलाफ मामले की जांच दस हफ्ते में पूरी करें। हाईकोर्ट ने कहा कि सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के खिलाफ लगे ‘दुर्भावना’ के आरोप साबित नहीं होते।
Delhi High Court: CBI to conclude investigation against Rakesh Asthana and Devender Kumar in 10 weeks https://t.co/ByLr9nz4vI
— ANI (@ANI)अस्थाना, डीएसपी देवेन्द्र कुमार और मनोज प्रसाद ने रिश्वतखोरी के आरोपों में अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की थी। जस्टिस नज्मी वजीरी की बेंच ने फैसला सुनाया है।
इससे पहले हाइकोर्ट ने 20 दिसंबर 2018 को दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। हाइकोर्ट ने सीबीआई को यथास्थिति बनाए रखने का निदेश दिया था।
ज्ञात हो कि, राकेश अस्थाना की ओर से दायर याचिका का सीबीआई ने विरोध किया था। सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने अपने जवाब में कहा था कि अस्थाना के खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोपों में प्राथमिकी दर्ज करते समय सभी अनिवार्य प्रक्रियाओं का पालन किया गया था।
शिकायतकर्ता हैदराबाद के कारोबारी सतीश बाबू सना ने आरोप लगाया था कि उसने एक मामले में राहत पाने के लिये रिश्वत दी थी। सना ने अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार, जबरन वसूली, मनमानापन और गंभीर कदाचार के आरोप लगाए थे। सीबीआई के डीएसपी देवेंद्र कुमार के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
सीबीआई ने बिचौलिए मनोज प्रसाद की गिरफ्तारी के बाद प्राथमिकी दर्ज की थी। मनीज ने पटियाला हाउस कोर्ट के मजिस्ट्रेट के सामने दिए बयान में अस्थाना को दो करोड़ रुपए की रकम देने की पुष्टि की।
मोइन कुरैशी पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है। सीबीआई ने कहा कि हैदराबाद के सतीश बाबू सना की शिकायत के बाद राकेश अस्थाना, देवेन्द्र और दो अन्य मनोज प्रसाद और सोमेश्वर प्रसाद के विरुद्ध 15 अक्टूबर को प्राथमिकी दर्ज की गई।
सीबीआई का आरोप है कि दिसंबर 2017 और अक्टूबर 2018 के बीच कम से कम पांच बार रिश्वत ली गई। गौरतलब है कि सीबीआई स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना और कई अन्य के खिलाफ कथित रूप से मीट कारोबारी मोइन कुरैशी की जांच से जुड़े सतीश सना नाम के व्यक्ति के मामले को रफा- दफा करने के लिए घूस लेने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की थी।
इसके एक दिन बाद ही डीएसपी देवेन्द्र कुमार को गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के अगले ही दिन अस्थाना पर उगाही और फर्जीवाड़े का मामला भी दर्ज किया।
सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच छिड़ी इस जंग के बीच, केंद्र ने सीवीसी की सिफारिश पर दोनों अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया था। जिनके बाद सीवीसी ने जॉइंट डायरेक्टर नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक बना दिया गया।
चार्ज संभालने के बाद ही नागेश्वर राव ने मामले से जुड़े 13 अन्य अधिकारियों का तबादला कर दिया था।