बार बार हिंदू धर्म को ही क्यों निशाना बनाया जाता है रेड लेबल चाय के विज्ञापन में

By Team MyNationFirst Published Sep 1, 2019, 12:47 PM IST
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रेड लेबल चाय का एक और विज्ञापन एक बार चर्चा में है। गणेश चतुर्थी के मौके पर रिलीज किया गया 2.19 मिनट के इस विज्ञापन पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है और पूरा सोशल मीडिया रेड लेबल के बहिष्कार के ऐलान से गूंजने लगा है। लेकिन इससे रेड लेबल बनाने वालों का मकसद पूरा हो रहा है। क्योंकि उनका उद्देश्य ही विवादित विज्ञापन जारी करके अपने प्रोडक्ट को चर्चा में लाना था। 
 

नई दिल्ली: कुंभ मेले पर जारी किए गए विज्ञापन के बाद एक बार फिर से रेड लेबल चाय चर्चा में है। गणेश चतुर्थी के मौके पर रिलीज किए गए इस विज्ञापन में थीम तो पिछली बार से अलग है। लेकिन संदेश बिल्कुल स्पष्ट है पिछली बार की ही तरह। 

रेड लेबल चाय के इस विज्ञापन को देखकर साफ तौर पर यह धारणा बन जाती है कि देश का बहुसंख्यक समुदाय अभी भी धार्मिक भेदभाव का शिकार है। जिसकी वजह से लोगों का गुस्सा इस विज्ञापन पर फूट रहा है। 

इस विज्ञापन में एक भगवान गणपति का भक्त है, जो कि गणेश चतुर्थी से पहले एक मूर्तिकार से भगवान गणेश की मूर्ति लेने पहुंचता है। लेकिन जब उसे पता चलता है कि मूर्ति बनाने वाला दूसरे मजहब का है तो वह मूर्ति लेना टालने की सोचता है। 

लेकिन तभी दुकानदार उसे चाय ऑफर करता है, जिसे पीने के बाद गणपति का भक्त उसी नमाजी टोपी पहले दुकानदार से मूर्ति खरीदने का फैसला करता है। अब प्रश्न यह उठता है कि मात्र अपनी चाय बेचने के लिए कंपनी ने लाखों गणपति भक्तों की एक नकारात्मक छवि गढ़ दी। उसे धार्मिक रुप से भेदभाव करने वाला चित्रित किया गया। जबकि पूरी दुनिया जानती है कि भारतीयों से बढ़कर सामाजिक और धार्मिक सद्भाव  दिखाने वाला समाज कहीं और नहीं है। 

 

रेड लेबल चाय बनाने वाली विदेशी कंपनी यूनिलीवर ने यह कोई पहली गुस्ताखी नहीं की है। अपने प्रोडक्ट को चर्चा में लाने के लिए वह पहले भी विवादित विज्ञापन जारी कर चुकी है। कुंभ मेले के समय जारी उसके एक  विज्ञापन में कुंभ मेले को ऐसे जगह की तौर पर दर्शाया जहां लोग अपने बुज़ुर्गों से हमेशा के लिए छुटकारा पाने के लिए आते हैं.

इस विज्ञापन में भी एक शख्स अपने पिता को कुंभ मेले में हमेशा के लिए छोड़ने आता है। वो भीड़ में अपने पिता को दूर छोड़ छिपकर निकल जाता है, लेकिन कुछ देर बाद उसे महसूस होता है कि उसने गलत किया है। वो पिता को ढूंढता है, उससे पहले ही पिता दो रेड लेबल चाय मंगवा के रखते हैं। जैसे ही बेटा पिता के पास पहुंचता है...पिता बोलते हैं कि मुझे मालूम था तुम वापस आयोगे। 

. encourages us to hold the hands of those who made us who we are. Watch the heart-warming video pic.twitter.com/P3mZCsltmt

— Hindustan Unilever (@HUL_News)

रेड लेबल हमेशा से भारत और भारतीयो को नीचा दिखाने वाले विज्ञापन जारी करता है। हर बार उसके विज्ञापनों की वजह से उसके प्रोडक्ट चर्चा में आ जाते हैं। उसके बहिष्कार का कैंपेन कुछ दिनों तक चलता है। लेकिन फिर से भारतीय उसके उत्पादों का इस्तेमाल करने लगते हैं। क्या इस बार भी यही होगा?

क्योंकि तथ्य यह भी है कि चाहे कितना भी विवाद हो, रेड लेबल कंपनी अपने जारी विज्ञापनों को कभी वापस नहीं लेती। 

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