रूस की रोसोबोर्नएक्सपोर्ट, स्वीडन की साब और फ्रांस की एमबीडीए में से रूसी कंपनी ने लगाई सबसे कम बोली।
भारतीय सेना के लिए कम दूरी की मिसाइल प्रणाली की आपूर्ति के लिए रूस को सबसे कम बोली लगाने वाला पाया गया है। रूस को तीन बिलियन डॉलर यानी 22 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का यह महत्वपूर्ण सौदा मिलना लगभग तय हो गया है।
तीन विक्रेताओं रूस की रोसोबोर्नएक्सपोर्ट, स्वीडन की साब और फ्रांस की एमबीडीए के साथ हुई एक बैठक के बाद आईजीएलए-एस को सबसे कम बोली लगाने वाला घोषित किया गया। इसका अर्थ यह हुआ कि वायुसेना और सेना को इन मिसाइलों की आपूर्ति का ठेका रूस की कंपनी को दिया जाएगा।
सरकार में मौजूद सूत्रों के मुताबिक, फ्रांस की ओर से इस मामले में पिछले कुछ महीनों से कुछ मुद्दे उठाए गए हैं। सूत्रों के अनुसार, सोमवार को भी फ्रांस की ओर से यह मुद्दा उठाया गया। यह बैठक रक्षा मंत्रालय द्वारा रूसी निर्माता का चुनाव करने को लेकर हुई हैं।
हालांकि सूत्रों ने यह भी कहा कि रक्षा खरीद प्रक्रिया का उसी तरह से पालन किया जाएगा जैसा कि रक्षा मंत्रालय द्वारा निर्धारित किया गया है। इसमें अंतिम फैसला सबसे कम बोली लगाने वाले के पक्ष में जाएगा।
भारत को सैनिक द्वारा कंधे पर उठाई जा सकने वाली इस मिसाइल प्रणाली की 1000 से ज्यादा यूनिटों की आवश्यकता है। यह प्रणाली दुश्मन के एयरक्रॉफ्ट को पल भर में उड़ा सकती है।
यह पिछले कुछ महीने में रूस के हाथ लगा दूसरी बड़ा मिसाइस सौदा है। अक्टूबर में भारत ने रूस के साथ एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल प्रणाली की पांच रेजीमेंट खरीदने का सौदा किया है। ये प्रणाली की मदद से दुश्मन के विमान और मिसाइलों को 400 किलोमीटर की दूरी पर ही खत्म किया जा सकता है।