विख्यात मुस्लिम लेखिका ने कहा, सबरीमला की जगह गांवों में जाएं महिला एक्टिविस्ट

By Team MyNationFirst Published Nov 17, 2018, 12:00 PM IST
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"बेहतर होगा कि वे (महिला काार्यकर्ता) गांवों में जाएं जहां महिलाओं को घरेलू हिंसा, बलात्कार, यौन उत्पीड़न, घृणा जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है और जहां लड़कियों की शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच नहीं है, जहां उन्हें नौकरी करने की स्वतंत्रता नहीं है या जहां उन्हें समान वेतन नहीं मिलता है।"

तिरुअनंतपुरम/नई दिल्ली- बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर हो रहे हंगामे के बीच बड़ा बयान दिया है। तस्लीमा ने आश्चर्य जताते हुए कहा है कि महिला कार्यकर्ता सबरीमला मंदिर में प्रवेश के लिए अत्यधिक उत्सुक क्यों हैं। उन्होंने कहा कि इसकी जगह उन्हें गांवों में जाना चाहिए जहां महिलाएं अनेक मुद्दों से जूझ रही हैं।

I do not understand why women activists are so eager to enter Sabarimala. Better they should enter the villages where women suffer from domestic violence, rape, sexual abuse,hate, where girls have no access to education, heath-care,and no freedom to take a job or get equal pay.

— taslima nasreen (@taslimanasreen)

सबरीमला मंदिर दो महीने के तीर्थाटन के लिए शुक्रवार को खुल गया।

तस्लीमा ने कहा है कि "मैं नहीं समझ पा रही हूं कि महिला कार्यकर्ता सबरीमला मंदिर में प्रवेश के लिए इतनी उत्सुक क्यों हैं?"

उन्होंने ट्वीट किया है कि "बेहतर होगा कि वे (महिला काार्यकर्ता) गांवों में जाएं जहां महिलाओं को घरेलू हिंसा, बलात्कार, यौन उत्पीड़न, घृणा जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है और जहां लड़कियों की शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच नहीं है, जहां उन्हें नौकरी करने की स्वतंत्रता नहीं है या जहां उन्हें समान वेतन नहीं मिलता है।"

लेखिका 1994 में अपने द्वारा लिखे गए उपन्यास से भड़के कट्टरपंथियों की धमकियों के चलते भारत और यूरोप में निर्वासन में रह रही हैं।

सबरीमला जाने के लिए शुक्रवार की सुबह कोच्चि पहुंचीं कार्यकर्ता तृप्ति देसाई ने अपनी योजना त्याग दी क्योंकि कोच्चि हवाईअड्डे के बाहर भाजपा के लोग, श्रद्धालु तथा अन्य लोग प्रदर्शन कर रहे थे।

देसाई को हवाईअड्डे से बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी गई क्योंकि प्रदर्शनकारी कह रहे थे कि वे उन्हें भगवान अय्यप्पा के मंदिर नहीं जाने देंगे।

कार्यकर्ता और उनके साथ पहुंचीं महिलाओं ने बाद में कोच्चि छोड़ने की घोषणा की।

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