लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा को पूर्वोत्तर के राज्यों में झटके मिलने शुरू हो गए हैं। अरुणाचल प्रदेश में भाजपा को बड़ा झटका लगा है। यहां पर उसके 12 विधायक एनपीपी में शामिल हो गए हैं जबकि बीजेपी को बड़ा झटका, दो मंत्रियों सहित 12 विधायकों ने छोड़ी पार्टी तो त्रिपुरा में पार्टी के उपाध्यक्ष ने फिर से कांग्रेस का हाथ थाम लिया है।
लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा को पूर्वोत्तर के राज्यों में झटके मिलने शुरू हो गए हैं। अरुणाचल प्रदेश में भाजपा को बड़ा झटका लगा है। यहां पर उसके 12 विधायक एनपीपी में शामिल हो गए हैं जबकि बीजेपी को बड़ा झटका, दो मंत्रियों सहित 12 विधायकों ने छोड़ी पार्टी तो त्रिपुरा में पार्टी के उपाध्यक्ष ने फिर से कांग्रेस का हाथ थाम लिया है।
असल में भाजपा ने राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए 60 विधानसभा सीटों में से 54 के लिए प्रत्याशियों के नामों पर संसदीय बोर्ड मुहर लगा दी है। इसके बाद राज्य में नेताओं ने विरोध शुरू कर दिया है। सत्ताधारी भाजपा के मंत्रियों और विधायकों का पार्टीं छोड़ना बड़ा झटका माना जा रहा है। भाजपा ने विधानसभा चुनाव में राज्य महासचिव जारपुम गामलिन, गृहमंत्री कुमार वाई, पर्यटन मंत्री जारकर गामलिन और कई विधायकों को टिकट नहीं दिया था। राज्य में 11 अप्रैल को लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव भी हो रहे हैं। टिकट न मिलने से नाराज जारपुम गामलिन ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष तापिर गाओ को अपना इस्तीफा भेज दिया।
इसके बाद उन्होंने मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने भी उनसे मुलाकात की। ऐसा कहा जा रहा है कि एनपीपी गामलिन को लिरोमोबा और कुमार वाई को बामेंग विधानसभा सीट से टिकट देगी। वहीं त्रिपुरा में सत्ताधारी भाजपा को भी बड़े झटके लगे हैं। राज्य ईकाई के उपाध्यक्ष सुबल भौमिक और दो अन्य नेताओं ने भाजपा से किनारे कर लिया है। भौमिक ने कांग्रेस का दामन थामा है। भौमिक पहले भी कांग्रेस में रहे और पांच साल पहले उन्होंने भाजपा की सदस्यता ली थी। उन्होंने कहा कि वह 35 साल तक कांग्रेस में रहे और यह उनकी घर वापसी है। उनके साथ ही पूर्व मंत्री प्रकाश दास और देबाशीष सेन ने भी कांग्रेस का दामन थाम लिया है।