देश की संसद में शनिवार को रुपहले पर्दे की ड्रीम गर्ल रही मथुरा की सांसद हेमा मालिनी सहित कई सांसदों ने झाड़ू लगाई। स्वच्छ भारत अभियान को बढ़ावा देने वाले इस कार्यक्रम में लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला और सांसद अनुराग ठाकुर भी दिखे। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस सबसे वृहत् और आवश्यक अभियान के प्रचार प्रसार के दौरान कई बार नेताओं की भंगिमा सांकेतिक दिखी।
नई दिल्ली : लोकसभा सचिवालय ने शुक्रवार को ही सूचना दे दी थी कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला के साथ कई केन्द्रीय मंत्री और सांसद आज यानी शनिवार 13 जून को स्वच्छता अभियान में हिस्सा लेंगे।
इस अभियान के तहत केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, सांसद राजीव प्रताप रुडी और हेमा मालिनी झाड़ू लगाते हुए दिखीं। लेकिन कई बार उनका यह कार्यक्रम मात्र रस्मी लगा। उनकी भंगिमाओं में कहीं से भी वह स्वच्छता संकल्प नजर नहीं आया जो प्रधानमंत्री में दिखता है।
इस फोटो की तुलना में पीएम नरेन्द्र मोदी के स्वच्छता अभियान की कोई भी फोटो उठाकर देख लीजिए। उनकी भंगिमाओं में हमेशा देश को स्वच्छ बनाने का एक दृढ़ संकल्प दिखाई देता है।
लेकिन उन्हीं पीएम मोदी की भारतीय जनता पार्टी के इन सांसदों को ढंग से झाड़ू पकड़ना भी नहीं आता। क्या इन नेताओं की तरह झाड़ू पकड़कर सफाई की जा सकती है। क्या ऐसे ही स्वच्छ होगा भारत?
देश की स्वच्छता को लेकर पीएम मोदी के चेहरे पर जो संकल्प दिखता है उसका ही असर है कि स्वच्छ भारत अभियान के तहत देश के हर एक गांव में शौचालय बनाने का काम लगभग पूरा हो चुका है।
साल 2014 से शुरु हुए इस अभियान का उद्देश्य 2 अक्टूबर 2019 तक देश के हर गांव को ओडीएफ(खुले में शौच से मुक्ति ) दिलाना था। अब तक 5.6 लाख गांव ओडीएफ घोषित हो चुके हैं। अब 1.96 लाख करोड़ रुपये की लागत से ग्रामीण क्षेत्र में नौ करोड़ शौचालयों का निर्माण का लक्ष्य तय किया गया है।
इसमें अब केवल 10 फीसद कार्य ही बाकी हैं। इसीलिए स्वच्छ भारत अभियान के लिए वित्तीय वर्ष 2019-20 के आवंटन में करीब 25 फीसद तक की कमी की गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अभियान को विस्तार देने के प्रस्ताव की घोषणा करते हुए कहा था कि अब इसका उद्देश्य शतप्रतिशत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन होना चाहिए। इस साल स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के लिए आवंटित 12,644 करोड़ रुपये वर्ष 2018-19 के पुनरीक्षित प्राक्कलन से 4,334 करोड़ रुपये कम हैं।
भारत में स्वच्छता के स्तर को बढ़ाने और खुले में शौच से मुक्ति (ओडीएफ) के उद्देश्य से संचालित 'स्वच्छ भारत अभियान' लगभग समाप्ति की ओर है, इसलिए इसके आवंटन में कटौती की गई है। उम्मीद की जा रही है कि अब ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट) और पेयजल आपूर्ति जैसी योजनाओं को ज्यादा बजट आवंटित किया जाएगा।
स्वच्छ भारत अभियान के ज्यादातर लक्ष्य दो अक्टूबर 2018 तक ही हासिल किए जा चुके थे, इसलिए मंत्रालय ने इस योजना का आवंटन घटा दिया है।