यूं ही नहीं हैं शरद पवार राजनीति के 'पॉवर सेंटर', 'चाणक्य' की बिसात का बिगाड़ा खेल

फिलहाल महाराष्ट्र की ही नहीं बल्कि देश की राजनीति में शरद पवार एक बार फिर मजबूत होकर उभर कर आए। महाराष्ट्र में अब वो सरकार शपथ लेगी, जिसके बारे में कभी सोचा भी नहीं गया था। यानी एनसीपी और कांग्रेस के साथ अब शिवसेना राज्य में सरकार बनाएगी। जबकि विचारधारा को देखते हुए तीनों दल अलग-अलग विचारधाराओं की राजनीति करते हैं। शिवसेना जहां कट्टर हिंदूवादी पार्टी मानी जाती है तो कांग्रेस खुद को सेक्युलर कहती है। जबकि एनसीपी को मराठा और अल्पसंख्यकों का समर्थन है।

Sharad Pawar is not only a 'power center' of politics, spoiled game of 'Chanakya'

नई दिल्ली। राष्ट्रवादी पार्टी के मुखिया शरद पवार ने भाजपा के चाणक्य और पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह को बड़ा झटका दे दिया है। पवार ने अपने राजनैतिक कौशल से उस बिसात का रूख बदला है। जो एक तरह से मुमकिन ही नहीं बल्कि नामुमकिन दिख रही थी। लेकिन बिसात के महज एक प्यादा अजित पवार के जरिए उन्होंने पूरे भाजपा का खेल बिगाड़ दिया और राज्य के सीएम देवेन्द्र फडणवीस को बहुमत साबित करने से पहले इस्तीफा देना पड़ा।

Sharad Pawar is not only a 'power center' of politics, spoiled game of 'Chanakya'

फिलहाल महाराष्ट्र की ही नहीं बल्कि देश की राजनीति में शरद पवार एक बार फिर मजबूत होकर उभर कर आए। महाराष्ट्र में अब वो सरकार शपथ लेगी, जिसके बारे में कभी सोचा भी नहीं गया था। यानी एनसीपी और कांग्रेस के साथ अब शिवसेना राज्य में सरकार बनाएगी। जबकि विचारधारा को देखते हुए तीनों दल अलग-अलग विचारधाराओं की राजनीति करते हैं। शिवसेना जहां कट्टर हिंदूवादी पार्टी मानी जाती है तो कांग्रेस खुद को सेक्युलर कहती है।

जबकि एनसीपी को मराठा और अल्पसंख्यकों का समर्थन है। लेकिन आज शरद पवार ने विचारधाराओं की दो अलग अलग धूरियों को मिला दिया है। उम्मीद की जा रही है कि एक  दिसंबर को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे राज्य में नए सीएम की शपथ लेंगे। जिसमें कांग्रेस और एनसीपी के मंत्री भी कैबिनेट में हिस्सा लेंगे। असल में 24 नवंबर की सुबह भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह के आदेश के बाद महाराष्ट्र में देवेन्द्र फडणवीस ने शपथ ली। राज्यपाल ने देवेन्द्र फडणवीस के साथ ही एनसीपी के बागी गुट के मुखिया अजित पवार को डिप्टी सीएम की शपथ दिलाई।

लेकिन इसी सरकार को मजबूरी के कारण महज ढाई दिन के भीतर ही इस्तीफा देना पड़ा। यही नहीं जिस एनसीपी नेता अजित पवार के बलबूते भाजपा ने सरकार बनाई वह बागी होकर फिर एनसीपी में लौट गए। जिसके लिए शरद पवार को ही श्रेय दिया जाता है। क्योंकिं पवार ने अजित पवार के पार्टी में लौटने की संभावनाओं को खत्म नहीं किया था। फिलहाल महाराष्ट्र की राजनीति के सबसे बड़े खिलाड़ी माने जाने वाले शरद पवार ने ये साबित कर दिया है कि उन्हें मात देना इतना आसान नहीं है।

शिकस्त के बाद भी अजित पवार के खिलाफ नहीं खोला मोर्चा

शरद पवार के इसी फैसले के कारण आज एनसीपी में टूट बच गई है। क्योंकि अजित पवार के बागी हो जाने के बावजूद शरद पवार ने अजित पवार के खिलाफ किसी भी तरह का मोर्चा नहीं खोला था। उन्होंने भविष्य की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए उन्हें पार्टीं से बाहर नहीं किया था। जिसके कारण विधायकों का पवार के प्रति विश्वास और ज्यादा मजबूत हुआ। इस दौरान शरद पवार पर भी उनके सहयोगियों ने उंगुली उठाई। लेकिन पवार ने किसी भी तरह के आरोप को खारिज किया। पार्टी में एक के बाद एक बैठकों का दौर शुरू हुआ। जिसके कारण अजित पवार के सहयोगी विधायक शरद पवार के पास लौटने लगे थे। 

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