मायावती ने दिल्ली में अपने नेताओं से साफ कहा कि लोकसभा चुनाव में शिवपाल ने गठबंधन के प्रत्याशियों को नुकसान पहुंचाया। उन्होंने कहा कि शिवपाल के कारण ही बीएसपी की ये स्थिति हुई है नहीं तो बीएसपी और ज्यादा सीटें जीतती। जाहिर है मायावती के इस बयान के बाद शिवपाल का राजनैतिक महत्व समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को समझ में आ गया है।
समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के रिश्ते लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद तल्ख होते जा रहे हैं। मायावती ने उत्तर प्रदेश में 12 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में पहली बार प्रत्याशी उतारने की ऐलान कर दिया है। लेकिन इन सबके बीच अचानक अखिलेश यादव के चाचा और पार्टी के बागी विधायक शिवपाल यादव का सियासी कद बढ़ गया है। फिलहाल मुलायम सिंह यादव फिर से यादव परिवार को एकजुट करने में जुट गए हैं और अखिलेश और शिवपाल की नाराजगी दूर करने की कोशिश कर रहे हैं।
मायावती ने दिल्ली में अपने नेताओं से साफ कहा कि लोकसभा चुनाव में शिवपाल ने गठबंधन के प्रत्याशियों को नुकसान पहुंचाया। उन्होंने कहा कि शिवपाल के कारण ही बीएसपी की ये स्थिति हुई है नहीं तो बीएसपी और ज्यादा सीटें जीतती। जाहिर है मायावती के इस बयान के बाद शिवपाल का राजनैतिक महत्व समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को समझ में आ गया है।
हालांकि लोकसभा चुनाव में हार के बाद मुलायम इस बात को समझ चुके थे कि शिवपाल के जाने के कारण पार्टी को बड़ा नुकसान पहुंचा है। असल में इस बार लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों की जीत का अंतर कम मतों का रहा। राज्य की करीब 68 सीटों पर शिवपाल सिंह यादव ने अपनी पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी(लोहिया) के प्रत्याशी उतारे थे।
जिन्होंने सीधे तौर पर गठबंधन के प्रत्याशियों को नुकसान पहुंचाया। यहां तक कि फिरोजाबाद और कन्नौज में एसपी प्रत्याशियों के हार का बड़ा कारण शिवपाल ही बने थे। फिरोजाबाद में शिवपाल चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा, इस हार में भी शिवपाल की जीत हुई थी।
क्योंकि उन्होंने एसपी नेता रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव को हराने में बहुत भूमिका निभाई। अपनी बैठक में मायावती द्वारा कई बार शिवपाल का नाम लिए जाने उनका राजनैतिक कद बढ़ गया है। राज्य में लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को मिली करारी हार के बाद पार्टी के संरक्षक और अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव ने परिवार में एका की बात कही है।
मुलायम की समझ में आ गया है कि अगर यादव परिवार एकजुट न हुआ तो राज्य में पार्टी की सियासी जमीन खत्म हो जाएगी। लिहाजा पिछले दरवाजे से मुलायम और उनके सहयोगी अखिलेश के साथ ही शिवपाल को मनाने में जुटे हैं। मुलायम ने पुराने समाजवादी नेताओं को शिवपाल को मनाने का जिम्मा सौंपा है जबकि अखिलेश यादव से स्वयं मुलायम सिंह बातचीत कर रहे हैं और अपने करीबियों के द्वारा भी उन पर दबाव बना रहे हैं। मुलायम सिंह हार के बाद सक्रिय हो गए हैं। ताकि कार्यकर्ताओं में जोश भरा जा सके।