मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव हारने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह राज्य की राजनीति से केन्द्रीय राजनीति में नहीं जाना चाहते हैं। अब शिवराज सिंह ने इसका राज अपने समर्थकों से किया है। शिवराज का कहना है कि मुख्यमंत्री आवास में फिर से पहुंचने में हो सकता है और पांच साल में यहां पहुंचने में इतना समय न लगे। असल में शिवराज ने राज्य की कांग्रेस पर परोक्ष तौर से इशारा किया कि सरकार राज्य में पांच साल नहीं टिकेगी, क्योंकि सरकार अन्य दल और निर्दलीयों की मदद से चल रही है।
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव हारने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह राज्य की राजनीति से केन्द्रीय राजनीति में नहीं जाना चाहते हैं। अब शिवराज सिंह ने इसका राज अपने समर्थकों से किया है। शिवराज का कहना है कि मुख्यमंत्री आवास में फिर से पहुंचने में हो सकता है और पांच साल में यहां पहुंचने में इतना समय न लगे। असल में शिवराज ने राज्य की कांग्रेस पर परोक्ष तौर से इशारा किया कि सरकार राज्य में पांच साल नहीं टिकेगी, क्योंकि सरकार अन्य दल और निर्दलीयों की मदद से चल रही है।
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बड़ा बयान देकर राज्य की राजनीति में गर्माहट पैदा कर दी है। राज्य में कांग्रेस की सरकार बने महज कुछ दिन हुआ है और अभी तक राज्य में मंत्रिमंडल का गठन भी नहीं हुआ है। ऐसे में शिवराज के इस बयान के बड़े मायने हैं। भोपाल में सीएम हाउस में शिवराज सिंह चौहान ने अपने समर्थकों से कहा कि मैं यहां से जा रहा हूं लेकिन यहां वापस आने में 5 साल भी पूरे न लगे। शिवराज ने इशारों और इशारों में समर्थकों से कहा कि वह हिम्मत रखें। राज्य में बदलाव भी हो सकता है।
असल में कमलनाथ की कांग्रेस सरकार बसपा-सपा और निर्दलियों के समर्थन से चल रही है। निर्दलीय भी कांग्रेस से सरकार बनने के साथ नाराज हो गए हैं। ऐसे में अगर निर्दलीय विधायक अपना समर्थन वापस ले लेते हैं तो सरकार पर खतरा मंडरा सकता है। शिवराज सिंह चौहान ने फिल्मी अंदाज में अपनी ताकत का ऐलान भी किया। उन्होंने कहा कि कहा कि कोई चिन्ता मत करना, टाइगर अभी जिन्दा है। विदाई समारोह के दौरान भावुकता के ये ऐसे पल थे।
जिसमें खुद शिवराज सिंह चौहान की पत्नी साधना सिंह भी अपने आंसू नहीं रोक पाईं. बाद में पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान को सभी को चुप कराना पड़ा। असल में शिवराज राज्य की राजनीति से अभी विदाई नहीं चाहते हैं। जबकि कई बड़े नेता चाहते हैं कि शिवराज केन्द्रीय राजनीति में आएं और लोकसभा चुनाव लड़े। जबकि शिवराज राज्य की राजनीति में अपना दखल रखना चाहते हैं।