कभी सोनिया के राजनैतिक गुरु रहे नेता के बेटे ने थामा भाजपा का दामन, कांग्रेस को झटका

By Team MyNation  |  First Published Feb 4, 2020, 4:03 PM IST

आज समीर द्विवेदी ने कहा, "मैं पहली बार किसी राजनीतिक दल में शामिल हो रहा हूं ... मैंने भाजपा को चुना क्योंकि मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए कार्यों से प्रेरित हूं।" गौरतलब है कि पिछले दिनों, जनार्दन द्विवेदी ने एक धार्मिक कार्यक्रम में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के साथ मंच साझा किया है। 

नई दिल्ली। कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी के करीबी और कभी उनके गुरु माने जाने वाले जनार्दन द्विवेदी के बेटे ने आज भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया। जर्नादन द्विवेदी के बेटे समीर द्विवेदी ने आज भाजपा का दामन थामकर कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। हालांकि पिछले कई सालों से जनार्दन द्विवेदी भी कांग्रेस से नाराज चल रहे हैं। 

कभी जर्नादन द्विवेदी को सोनिया गांधी का सबसे करीबी नेता माना जाता था। इसके बाद सोनिया के करीबी लोगों में अहमद पटेल ग्रुप की एंट्री हो गई। इसके बाद जर्नादन द्विवेदी दस जनपथ की राजनीति से किनारे हो गए। पिछले दिनों जर्नादन द्विवेदी ने कांग्रेस आलाकमान को लेकर बयान भी दिया था। जिसके बाद उस बयान पर सियासी चर्चा  भी हुई। दिल्ली विधानसभा चुनाव से जर्नादन द्विवेदी के बेटे का भगवा ध्वज थामने के कई मायने भी हैं।

आज समीर द्विवेदी को भाजपा महासचिव अरुण सिंह ने भगवा पार्टी में पार्टी को ज्वाइन कराया। जर्नादन द्विवेदी कभी कांग्रेस के सबसे ताकतवर महासचिवों में शुमार थे। यहां तक कि  सोनिया गांधी को राजनैतिक गुर सिखाने वाले जर्नादन द्विवेदी ही थे। लेकिन कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद और अन्य नेताओं की करीबी के कारण जर्नादन द्विवेदी हाशिए पर चले गए थे। आज समीर द्विवेदी ने कहा, "मैं पहली बार किसी राजनीतिक दल में शामिल हो रहा हूं ... मैंने भाजपा को चुना क्योंकि मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए कार्यों से प्रेरित हूं।"

गौरतलब है कि पिछले दिनों, जनार्दन द्विवेदी ने एक धार्मिक कार्यक्रम में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के साथ मंच साझा किया है। जिसको लेकर कांग्रेस के कई नेताओं ने आलोचना की थी। जर्नादन द्विवेदी के कांग्रेस की नई पीढ़ी से बहुत ज्यादा  अच्छे संबंध नहीं है। पिछले दिनों ही उन्होंने राहुल गांधी के इस्तीफा देने के मामले में उन्होंने कहा कि नेताओं को जिम्मेदारी लेने से नहीं बचना चाहिए।

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