- सीबीआई ने सज्जन कुमार की ओर से दाखिल जमानत याचिका का विरोध किया है। शीर्ष कोर्ट ने सीबीआई से पूछा अगर सज्जन कुमार को जमानत दी जाती है तो क्या वह परेशानी का सबब बनेंगे?
1984 सिख विरोधी दंगे के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल राहत नहीं मिली है। कोर्ट ने सीबीआई से पूछा है कि सज्जन कुमार के खिलाफ कितने केस चल रहे हैं। अभी इन केस की क्या स्थिति है। कोर्ट 15 अप्रैल को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा।
इस बीच, सीबीआई ने सज्जन कुमार की ओर से दाखिल जमानत याचिका का विरोध किया है। शीर्ष कोर्ट ने सीबीआई से पूछा अगर सज्जन कुमार को जमानत दी जाती है तो क्या वह परेशानी का सबब बनेंगे? जिसपर सीबीआई ने पुरानी घटना का जिक्र करते हुए कहा कि सर्च के दौरान भीड़ ने सीबीआई का विरोध किया। भीड़ तभी हटी जब सज्जन कुमार को जमानत मिली और उन्होंने भीड़ को कहा कि अब अग्रिम जमानत मिल गई है, इन्हें जाने दो।
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से पूछा जो सज्जन कुमार के खिलाफ दूसरा मामला चल रहा है उसकी सुनवाई पूरी में कितना समय लगेगा। सीबीआई ने कोर्ट में बताया कि 3 से 4 महीने लग सकते हैं। वही सज्जन कुमार के वकील ने कहा की जिस घटना की सीबीआई बात कर रही है उसपर कोर्ट ने अविश्वास जताया था। सुप्रीम कोर्ट ने सज्जन कुमार के वकील से कहा कि वो फैसले की कॉपी हमें दिखाए। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को कहा कि आप हमें ऐसी दस्तावेज क्यों दिखा रहे है जिसपर कोर्ट ने अविश्वास जताया हो।
दिल्ली हाइकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए सिख विरोधी दंगों से जुड़े एक मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा था कि परिस्थिति जन्य साक्ष्यों और गवाहों के बयानों को अगर ध्यान से देखें तो साफ पता चलता है कि कांग्रेस नेता सज्जन कुमार ने अपनी भूमिका का निर्वाह नहीं किया था। वो हिंसा पर उतारू भीड़ का समझ बुझा सकते थे। लेकिन उन्होंने दंगा को भड़काने में मदद की। कोर्ट ने अपनी इस टिप्पणी के साथ निचली अदालत के फैसले को पलट दिया और उम्रकैद की सजा सुना दी। जिसे सज्जन कुमार ने हाइकोर्ट में चुनौती दी है।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद सज्जन कुमार ने 31 दिसंबर को कड़कड़डूमा कोर्ट में आत्म समर्पण कर दिया था। दिल्ली कैंटोनमेंट के राज नगर इलाके में एक दो नवंबर 1984 को पांच सिखों की हत्या और एक गुरुद्वारा में आग लगाए जाने के मामले में दोषी करार दिया गया है। 31 अक्टूबर, 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख विरोधी दंगे हुए थे।