सुप्रीम कोर्ट ने शहरी नक्सलियों को किया नजरबंद

By Team MynationFirst Published Aug 29, 2018, 6:48 PM IST
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सुप्रीम कोर्ट ने पीएम मोदी की हत्या की साजिश रचने और भीमा-कोरेगांव हिंसा भड़काने के मामलों में पांचों संदिग्ध ‘शहरी नक्सलियों’ को 5 सितंबर तक नजरबंद रखने का आदेश दिया है। पुणे पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ दायर याचिका पर बुधवार को अदालत में सुनवाई हुई उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार और अन्य पक्षकारों से 5 सितंबर तक जवाब मांगा है। मामले में अगली सुनवाई 6 सितंबर को होगी।
 


सुप्रीम कोर्ट ने पीएम मोदी की हत्या की साजिश रचने और भीमा-कोरेगांव हिंसा भड़काने के मामलों में पांचों संदिग्ध ‘शहरी नक्सलियों’ को 5 सितंबर तक नजरबंद रखने का आदेश दिया है। पुणे पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ दायर याचिका पर बुधवार को अदालत में सुनवाई हुई उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार और अन्य पक्षकारों से 5 सितंबर तक जवाब मांगा है। मामले में अगली सुनवाई 6 सितंबर को होगी।

याचिकाकर्ता के वकील राजीव धवन ने कहा कि गिरफ्तारियां अवैध और मनमाने तरीके से की गईं। इसके विरोध में इतिहासकार रोमिला थापर और चार आरोपियों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।

 इससे पहले मंगलवार को देश भर में अलग-अलग जगहों पर इनके ठिकानों पर छापे मारी हुई थी। जैसे ही छापेमारी की खबरें आईं विपक्ष ने सरकार पर हमला बोल दिया। आज दिल्ली हाई कोर्ट में गौतम नवलखा की कोर्ट में पेशी भी हुई। इस बीच भीमा कोरेगांव हिंसा में गिरफ्तार आरोपियों की आतंकी संगठनों से रिश्ते का खुलासा हुआ है।

इस मामले पर कांग्रेस और वामदलों समेत तमाम विपक्षी दलों ने इसे मोदी सरकार का तानाशाही एक्शन करार दिया है।

इस बीच महाराष्ट्र के गृहमंत्री दीपक केसरकर ने कहा कि, जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत मिले है, उन्होंने कहा कि अगर सबूत नहीं होते तो कोर्ट कस्टडी नहीं देता। उन्होंने कहा कि अगर कोई इस मुद्दे पर बहस करना चाहता है, तो वह कर सकता है। मंत्री ने कहा कि हमने सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया है।

पकड़े गए लोगों में गौतम नौलखा नक्सलियों के प्रति अपनी सहानुभूति को लेकर बदनाम है और वामपंथी पहचान वाले जेएनयू और कोलकाता के जादवपुर यूनिवर्सिटी में जाता रहता है। वहां गैर आधिकारिक सेमिनारों में शिरकत करता है।

सुधा भारद्वाज जो कि पेशे से ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता और वकील है, पुलिस ने उसके सूरजकुंड आवास पर छापेमारी करते हुए गिरफ्तार किया था। सुधा 31 दिसंबर 2017 को हुई भीमा-कोरेगांव हिंसा के मामले में पुलिस के रडार पर थी। इसके पहले दिल्ली के मुनिरका इलाके से जून में ही रोना विल्सन नाम के आरोपी की गिरफ्तारी हो चुकी है। 

पुणे पुलिस की नजर वरवर राव की गतिविधियों पर लगातार बनी हुई थी। उसके घर पर छापेमारी हुई। इसके साथ-साथ उसकी बेटी अनाला और पत्रकार कुमारनाथ के घर पर भी पुलिस ने छापेमारी की। कुमारनाथ वरवर राव का करीबी माना जाता है। वरवर राव की गिरफ्तारी से पहले हैदराबाद में पुलिस ने उससे घंटों पूछताछ की। 

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