चुनाव के दौरान बरामद कैश और सामान पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई सरकार को फटकार

By Gopal KFirst Published May 13, 2019, 12:52 PM IST
Highlights

लोकसभा चुनाव का बस एक ही चरण बाकी है। अभी तक 812 करोड़ से ज्यादा की नकदी बरामद की जा चुकी है। इसके अलावा शराब, ड्रग्स और कीमती कई सामग्री भी बरामद किया गया है जिसकी बाजार में कीमत 3370 करोड़ रुपये के आसपास बताया जा रहा है। यह जानकारी चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को दी है। इस मुद्दे पर एक याचिका की सुनवाई के दौरान अदालत ने सरकार को फटकार लगाई।  

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट कर्नाटक सरकार की एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जो हाइकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर की गई थी। यह बेल्लारी लोकसभा के उपचुनाव के समय एक व्यक्ति के पास से 20 लाख रुपये कैश बरामद किया गया था। जिसके बाद उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया। लेकिन उस व्यक्ति ने एफआईआर के खिलाफ हाइकोर्ट चला गया और हाइकोर्ट ने एफआईआर रद्द करने का आदेश दे दिया। जिसके खिलाफ कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम में याचिका दायर कर रखी है।

आयोग ने 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान दर्ज केस की जानकारी देते हुए कहा कि अब सिर्फ तीन केस चल रहे है बाकी केस का निपटारा कर दिया गया है। इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति एनवी रमन्ना और एम एम शान्तानगौडर की पीठ सुनवाई कर रही है। कोर्ट ने आयोग द्वारा दी गई जानकारी पर हैरानी जताया और कहा कि अगली सुनवाई के दौरान आप विस्तृत जानकारी दे कि कितने बेहिसाब नकदी बरामद किया गया है और कितने केस दर्ज किया गया है। 

वहीं केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि अभी तक सभी केसों की जानकारी मौजूद नहीं है और इसके लिए राज्य सरकारों से संपर्क किया जा रहा है। जिसपर बैंच ने कहा कि सवाल यह है कि बरामद की गई बेहिसाब नकदी और दर्ज किए गए केसों के मामले में क्या केंद्र सरकार को राज्य सरकार के साथ संपर्क में नही रहना चाहिए था। आप पहले से ही मान रहे हैं कि बरामद किए गए कैश का संबंध चुनावों से नही था तो क्या यह जिम्मेदारी भी हमें चुनाव आयोग को दे देनी चाहिए।

चुनाव आयोग ने कोर्ट को यह भी बताया कि 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान जो पैसा बरामद किया गया था उस पैसे को आयोग ने एक महीने बाद ही वापस कर दिया था। आयोग ने यह भी बताया कि साल 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान एक शख्स से 303 करोड़ रुपये बरामद किया गया था। लेकिन बाद में उस व्यक्ति की आय की जांच करने के बाद  रकम को वापस कर दिया गया। 

मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि छापों के मामलों में वित्त मंत्रालय को संज्ञान में रखा गया था लेकिन मंत्रालय से कोई सहयोग नही मिला। जिसपर कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आप कैश की बरामदगी और छापे के बाद कोई कड़े कदम नहीं उठाते। आप न तो कमीशन का सहयोग करते हैं और न ही कोर्ट का। क्या सरकार का यही रवैया होना चाहिए।
 

click me!