धारा 370 के बाद राम मंदिर की बारी, आज से सुप्रीम कोर्ट में होगी रोजाना सुनवाई

By Team MyNation  |  First Published Aug 6, 2019, 8:03 AM IST

जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटाने के बाद अब राम मंदिर मामले के समाधान की बारी है। जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट में आज से रोजाना सुनवाई शुरु हो जाएगी। उम्मीद की जा रही है कि जल्दी ही इस मामले पर भी फैसला आ जाएगा। 
 

नई दिल्ली: अयोध्या में राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण पर चल रहे विवाद में सुप्रीम कोर्ट आज से रोजाना सुनवाई करेगा। इसके पहले मध्यस्थों के जरिए मामले का हल निकालने की कोशिश की गई थी, लेकिन यह सफल नहीं रही। 

मध्यस्थता की कवायद विफल होने के बाद मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यों की संवैधानिक पीठ इस मामले की रोजाना सुनवाई करेगी। इस सुनवाई के लिए सप्ताह में तीन दिन मंगलवार, बुधवार और गुरुवार सुनिश्चित किए गए हैं। 

पांच दिन पहले यानी 1 अगस्त को मध्यस्थता समिति सुप्रीम कोर्ट के समक्ष बंद लिफाफे में सीलबंद फाइनल रिपोर्ट पेश की थी। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस रिपोर्ट के हवाले से बताया कि मध्यस्थता समिति इस मामले में कोई समाधान तलाश नहीं कर पाई। 

इस मामले पर मुख्य न्यायाधीश ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि यदि मध्यस्थता समिति के जरिए राम जन्मभूमि विवाद पर कोई फैसला नहीं लिए जाने की स्थिति में सुप्रीम कोर्ट रोजाना सुनवाई करके इस मामले का समाधान तलाश करेगा। 

प्रतिदिन सुनवाई करने वाली संवैधानिक पीठ की अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई कर रहे हैं। उनके अलावा इस पीठ में जस्टिस एस. ए. बोबडे, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. ए. नजीर शामिल हैं। 

मध्यस्थता कमिटी का गठन भी सुप्रीम कोर्टने ही किया था। लेकिन अदालत ने पाया कि इसके कई प्रयासों के बावजूद समिति के अंदर और बाहर पक्षकारों के रुख में कोई खास बदलाव देखने को नहीं मिल रहा है। जिसके बाद अदालत ने मध्यस्थता कमिटी को भंग करके मंगलवार से रोजाना सुनवाई का फैसला किया। 

मध्यस्थता कमिटी में पूर्व जज जस्टिस एफ.एम.कलीफुल्ला, आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पांचू शामिल थे। यह समिति बंद कमरे में राम मंदिर से जुड़े सभी पक्षकारों से मुलाकात करके इस मुद्दे पर आम सहमति बनाने की कोशिश कर रही थी। लेकिन हिंदू पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट में जानकारी दी कि 155 दिनों तक लगातार चर्चा करने के बाद भी किसी तरह की सहमति नहीं बन पाई है। 

जिसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने रोजाना सुनवाई करने का फैसला किया है। 

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