कश्मीर में आतंकवादी फंडिंग के लिए कैसे रचा गया मनी लांड्रिंग का चक्रव्यूह

By Siddhartha Rai  |  First Published Mar 31, 2019, 1:27 PM IST

केंद्र सरकार ने कश्मीर घाटी में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल होने वाले काले धन पर बड़ी चोट की है। हाल ही में एनआईए, सीबीआई और सीबीडीटी की आठ सदस्यीय टीम इस तरह के गठजोड़ पर कार्रवाई करने के लिए गठित की गई है। 
 

अलगाववादी नेता शब्बीर शाह कश्मीर घाटी में आतंकी गतिविधियों की फंडिंग के लिए हवाला का कारोबार चलाने में बेनकाब हो चुका है। कश्मीर में आतंकवाद फैलाने के लिए इस्तेमाल हो रहे काले धन के रैकेट पर कार्रवाई करते हुए आयकर विभाग ने कई जगह छापेमारी की है। इसमें कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं। इनसे आयकर विभाग को स्थानीय सरकारी अधिकारियों और अलगावादियों की साठगांठ का पर्दाफाश करने में सफलता मिली है। जांच से पता चला है कि स्थानीय अधिकारी टैक्स रडार से बच निकलने वाले अलगाववादियों के कालेधन को ठिकाने लगाने में मदद करते थे। 

ये छापेमारी शुक्रवार को श्रीनगर में पांच अलग-अलग ठिकानों पर हुईं। इससे सामने आया है कि कैसे दो ग्रुप स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर आतंकियों से सहानुभूति रखने वालों और उन्हें फंडिंग करने वालों की अघोषित कमाई को रियल एस्टेट में खपा रहे थे। इस काली कमाई से श्रीनगर में कई जमीनें, दुकानें और बिल्डिंग खरीदी गईं।,

कालेधन को रियल एस्टेट में लगाया

टैक्स विभाग ने ऐसी 76 दुकानों का पता लगाया है जिन्हें श्रीनगर डेवलपमेंट अथॉरिटी (एसडीए) ने बनाया था। कहने को तो ये दुकानें सब्जी और फल विक्रेताओं के पुनर्वास के लिए बनाई गई थीं। लेकिन इन्हें बड़ी कीमतें के एवज में प्रभावशाली और धन्नासेठों को बेच दिया गया। 

आयकर विभाग ने ऐसे प्रभावशाली लोगों की पहचान का खुलासा नहीं किया है, जिन्होंने मेज के नीचे से मिले काले धन को आतंकवाद में लगाने में मदद की। आयकर विभाग को एक शख्स की संपत्ति की जांच के दौरान पता चला कि रियल एस्टेट में खरीद-फरोख्त के लिए उसने बड़े पैमाने पर ब्लैक मनी का इस्तेमाल किया है।
 
यह शख्स बटमालू में सब्जी विक्रेता यूनियन का स्वघोषित अध्यक्ष बताया जाता है।  एक अतिक्रमण हटाओ अभियान के बाद बटमालू में सब्जी विक्रेताओं की पुनर्वास की योजना इसी साल घोषित की गई थी। लेकिन अब साने आया है कि इस तरह के मामलों में काले धन का लेनदेन होता है।
 
बटमालू को पत्थरबाजों का इलाका कहा जाता है। यहां सुरक्षा बलों की ओर से कई आतंकवाद रोधी अभियान भी चलाए जाते रहे हैं।  

आयकर विभाग की जांच के दौरान सामने आया है कि बाजार में पहले तल की चार दुकानों को इस व्यक्ति द्वारा 1.09 करोड़ रुपये में किसी दूसरे व्यक्ति को बेच दिया गया। दुकान खरीदने वाले इस व्यक्ति में सिर्फ नौ लाख रुपये चेक से दिए। बाकी एक करोड़ रुपये की राशि नकद में दी गई, जिसका कोई पक्का हिसाब नहीं था।  

इसी तरह एक स्थानीय सामुदायिक नेता ने परीमपोरा के नया फ्रूट  कॉम्प्लेक्स में तीन मंजिला बजट होटल कम शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बनवाया। इसे उसने दुकानों और रियल एस्टेट से मिले काले धन से तैयार करवाया है। 

अवैध जमीन को ब्लैक मनी के लिए बेचा
 
वहीं एक दूसरी जांच के दौरान अवैध कब्जे वाली 86 कैनाल भूमि को बेचने का जानकारी सामने आई है। इस जमीन को स्थानीय ताकतवर लोगों को काफी मोटे पैसे में बेचा गया है। ऐसा संदेह है कि यह सौदा काफी हद तक या पूरा का पूरा अघोषित पैसे से हुआ है। 

जांच के दौरान कई 'इकरारनामे' भी बरामद हुए हैं, जिनसे पता चलता है कि कैसे जमीनों का मालिकाना हक कैश रसीदों के जरिये एक से दूसरे को ट्रांसफर किया गया।

ब्लैक मनी की फैक्टरी
 
खुद को आंत्रप्रेन्योर बताने वाले श्रीनगर के इस आरोपी बिजनेसमैन ने अपने काले धन को प्रॉपर्टी की कैश खरीदारी में ठिकाने लगाने की कोशिश की। इसमें उसने स्थानीय अधिकारियों और श्रीनगर डेवलपमेंट अथॉरिटी के अधिकारियों की मदद ली। 

इस कर चोर ने ऐसे जुटाई नकदी से एक स्क्रैप और प्लास्टिक क्रशिंग यूनिट भी लगाई है। इस औद्योगिक इकाई में हुआ निवेश और इससे होने वाली कमाई को पूरी तरह देश की कर व्यवस्था से बाहर रखा गया है।
 
कुल मिलाकर, इन छापों एवं जांचों में 11 करोड़ रुपये के अघोषित वित्तीय लेनदेन की बात साने आई है। साथ ही अचल संपत्तियों में 19 करोड़ रुपये के अघोषित निवेश का भी पता चला है। यह सारी संपत्तियां श्रीनगर के आसपास हैं।  
 

click me!