भाजपा की इस रणनीति से तो हरियाणा में खत्म हो जाएगी विपक्ष की मुस्लिम राजनीति

असल में विपक्षी दल अकसर भाजपा को मुस्लिमों को टिकट न देने के मामले में कठघरे में खड़ा करते हैं। लिहाजा भाजपा इस बार मुस्लिमों को टिकट देकर विपक्षी दलों का मुंह बंद कर सकती है। हरियाणा में मेवात इलाके में मुस्लिमों को वर्चस्व है। लिहाजा यहां पर मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट देकर पार्टी विपक्षी दलों के लिए मुश्किलें खड़ा कर सकती है। राज्य के तीन मुस्लिम विधायक मेवात जिले से ही आते हैं। 

This strategy of BJP will end the opposition in Haryana Muslim politics

नई दिल्ली। हरियाणा में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी इस बार क्या मुस्लिमों में दांव खेलेगी। फिलहाल भाजपा नेतृत्व इस पर विचार कर रहा है। अगर भाजपा मुस्लिमों को चुनावी मैदान में उतारती है तो इससे कांग्रेस और इनेलो के लिए बड़ा झटका लग सकता है।

असल में विपक्षी दल अकसर भाजपा को मुस्लिमों को टिकट न देने के मामले में कठघरे में खड़ा करते हैं। लिहाजा भाजपा इस बार मुस्लिमों को टिकट देकर विपक्षी दलों का मुंह बंद कर सकती है। हरियाणा में मेवात इलाके में मुस्लिमों को वर्चस्व है। लिहाजा यहां पर मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट देकर पार्टी विपक्षी दलों के लिए मुश्किलें खड़ा कर सकती है।

राज्य के तीन मुस्लिम विधायक मेवात जिले से ही आते हैं। अभी तक पुन्हाना से निर्दलीय विधायक रहीस खान भाजपा की मदद करते आए हैं। वहीं नूंह से इनेलो विधायक जाकिर हुसैन और फिरोजपुर झिरका से विधायक नसीम अहमद हाल ही में भाजपा में शामिल हुए हैं। लिहाजा ऐसा माना जा रहा है कि अपनी रणनीति के तहत ही भाजपा ने इन नेताओं को पार्टी में शामिल किया।

भाजपा अपनी रणनीति के तहत राज्य की ज्यादा ये ज्यादा सीटें जीतने के लिए कार्य कर रही है। भाजपा ने साफ कर दिया है कि अगर स्थानीय स्तर पर उनका प्रत्याशी कमजोर होता है और विपक्ष का मजबूत तो उसे विपक्ष दल के नेता को पार्टी में शामिल कराने में कोई दिक्कत नहीं है। बहरहाल पार्टी में टिकट का वितरण 29 सितंबर को पहली नवरात्र को किया जाएगा।

हालांकि राज्य में एक सीट पर कई दावेदार हैं। लेकिन पार्टी ने साफ कर दिया है जो विधायक पिछले पांच साल से बागी रूख अपनाए हुए थे। उन्हें इस बार टिकट नहीं दिया जाएगा। हालांकि राज्य में मुस्लिम कांग्रेस और इनेलो का वोट बैंक माना जाता है। लेकिन भाजपा ने दो मुस्लिम विधायकों को पार्टी में शामिल कर दोनों दलों के लिए मुश्किलें तो पैदा कर ही दी है। 

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