टीपू नहीं बन पाए सुल्तान, 14 साल में 35 सीटों से 5 पांच सीटों पर सिमटी पार्टी

By Team MyNation  |  First Published May 25, 2019, 1:21 PM IST

अगर देखें तो मुलायम की तरफ अखिलेश में वो करिश्मा भी नहीं दिखाई दे रहा है, जिसके बलबूते एसपी ने यूपी और दिल्ली की सत्ता पर राज किया। फिलहाल अब अखिलेश के नेतृत्व में सवाल उठने शुरू हो गये हैं। हालांकि मुलायम सिंह की तरफ से कोई बयान नहीं आया है। लेकिन उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही मुलायम अखिलेश को नसीहत देंगे। हालांकि मुलायम तो पहले ही अखिलेश को गठबंधन न करने की सलाह दे चुके हैं। 

उत्तर प्रदेश में कई बार सत्ता पर काबिज रही समाजवादी पार्टी की स्थिति ये है कि पार्टी 14 साल में 35 लोकसभा की सीटों से महज पांच सीटों  में सिमट गयी है। पार्टी की करारी हार के पीछे हालांकि पार्टी के नीति निर्धारक कारणों को खोज रहे हैं। लेकिन सच्चाई ये भी है कि मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष के नेतृत्व में पार्टी को एक बार नहीं बल्कि तीन बार हार का सामना करना पड़ा। जबकि मुलायम सिंह यादव हमेशा ही किसी अन्य दल के साथ चुनावी गठबंधन के खिलाफ रहे। 

असल में 2017 में पार्टी को राज्य के विधानसभा चुनाव में भी करारी हार का सामना पड़ा था। पार्टी 227 सीटों में से महज 47 सीटों पर सिमट गयी। जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। क्षेत्रीय पार्टी होने के नाते हार और जीत की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री की ही होती है। हालांकि उस वक्त यादव परिवार में किसी भी तरह का विघटन नहीं हुआ था। उसके बावजूद पार्टी महज पांच सीटों पर ही जीत पायी थी।

कभी एसपी के संरक्षक मुलायम सिंह को पीएम पद का दावेदार माना जाता था और वह समाजवादी आंदोलन के बड़े नेता माने जाते थे। अगर देखें मुलायम के पास कार्यकर्ताओं को कनेक्ट करने का जो हुनर है वह अखिलेश के पास नहीं है। यही नहीं एसपी के बागी विधायक और शिवपाल सिंह यादव भी मुलायम की तरह कार्यकर्ताओं के संपर्क में रहते हैं।

लेकिन शिवपाल को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाकर अखिलेश ने कार्यकर्ताओं से एक तरह से दूरी बना ली है। अगर आंकड़ों को देखें तो 2004 से पार्टी का ग्राफ लगातार नीचे गिर रहा है। जहां 2004 में पार्टी को 35 सीटें मिली थी वहीं 2009 में सीटें गिरकर 23 हो गयी और ये आंकड़ा 2014 में और नीचे आकर पांच सीटों में सिमटा तो इस बार आंकड़ा फिर से पांच में आकर रूक गया।

लोकसभा चुनाव में यादव परिवार के पांच सदस्यों में तो इस बार तीन को हार का सामना करना पड़ा जबकि मुलायम और अखिलेश ही अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे। वहीं बीएसपी से गठबंधन करने के बाद उसकी सीटें शून्य से बढ़कर 10 हो गयी हैं।अगर देखें तो मुलायम की तरफ अखिलेश में वो करिश्मा भी नहीं दिखाई दे रहा है, जिसके बलबूते एसपी ने यूपी और दिल्ली की सत्ता पर राज किया।

फिलहाल अब अखिलेश के नेतृत्व में सवाल उठने शुरू हो गये हैं। हालांकि मुलायम सिंह की तरफ से कोई बयान नहीं आया है। लेकिन उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही मुलायम अखिलेश को नसीहत देंगे। हालांकि मुलायम तो पहले ही अखिलेश को गठबंधन न करने की सलाह दे चुके हैं। लेकिन क्या तीन साल के बाद होने वाले विधानसभा चुनाव और जल्द ही 11 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में भी एसपी उनकी सलाह मानेंगे।

click me!