वीएचपी ने फूंका जेएनयू में राम मंदिर का बिगुल, परेशान हुआ ‘टुकड़े टुकड़े’गैंग

By Siddhartha Rai  |  First Published Dec 5, 2018, 7:35 PM IST

अयोध्या में भव्य राम मंदिर के लिए देश भर में चल रहा आंदोलन वामपंथ के गढ़ जेएनयू में पहुंच गया है और वाम-उदारवादी भीड़ गुस्से से लाल-पीली हो रही है। 
अयोध्या में विवादित ढांचे की जगह एक भव्य राम मंदिर के निर्माण की मांग को लेकर बुधवार की सुबह जेएनयू परिसर में दोपहिया वाहनों, कारों और ट्रकों की एक लंबी रैली आयोजित की गई थी।

स रैली का आयोजन स्वदेशी जागरण मंच के बैनर तले किया गया था, लेकिन सूत्रों का कहना है कि इसके पीछे विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) की प्रेरणा थी। 

यह रैली जनता के बीच राम मंदिर के लिए माहौल बनाने की विश्व हिंदू परिषद् की कोशिशों का एक हिस्सा थी। इसके लिए एक दिसंबर से 'श्री राम मंदिर संकल्प रथ यात्रा' निकाली जा रही है। यात्राओं का यह सिलसिला 9 दिसंबर को नई दिल्ली में होने वाली धर्म सभा में समाप्त हो जाएगा। 

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यह धर्म सभा इसलिए बुलाई जा रही है कि कैसे राम मंदिर के निर्माण में तेजी लाने के तरीके पर जोर दिया जाए। 

वीएचपी के अंतरराष्ट्रीय संयुक्त महासचिव सुरेन्द्र जैन वामपंथी वर्चस्व वाले जेएनयू छात्रों के संघ (जेएनयूएसयू) द्वारा की गई आलोचना पर तीव्र प्रतिक्रिया जताते हैं। जो कि आरएसएस कार्यकर्ताओं की इस रैली को अपराधियों का जमावड़ा बता रहे हैं और कुलपति पर जेएनयू कैंपस को आरएसएस शाखा में बदलने का आरोप लगा रहे हैं। 

जैन कहते हैं कि देशद्रोहियों का समर्थन और देशभक्तों का विरोध उनका चरित्र है। जेएनयू वही परिसर है जहां सेना के जवानों की पिटाई की जाती है। यह वही ‘टुकड़े टुकड़े’ गैंग है जो कि देश को कई हिस्सों में बांटना चाहता है। लेकिन देश का युवा जाग गया है और राष्ट्रवाद की हवा जेएनयू सहित पूरे देश में बह रही है। 

उधर, जेएनयूएसयू के महासचिव अजाज अहमद ने इस रैली के लिए जेएनयू प्रशासन की निंदा करते हुए कहा कि "हम संघ को इस विश्वविद्यालय और इस देश के धर्मनिरपेक्ष ताने बाने को नष्ट नहीं करने देंगे

उन्होंने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करके कहा कि ‘ बेहद चौंकाने वाले तरीके से  जेएनयू प्रशासन ने आरएसएस प्रचारकों और स्वयंसेवकों को जेएनयू परिसर में राम मंदिर के पक्ष में प्रचार करने के लिए रैली करने की अनुमति दी। यह बेहद शर्मनाक है कि जगदीश कुमार के प्रशासन में एक धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक परिसर को आरएसएस की शाखा में बदल दिया गया है। 

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