चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा नौका पर सवार होकर आएंगी और ये बेहद शुभ माना जाता है और इसके साथ ही इस साल के नवरात्र में सर्वसिद्धि योग बन रहे हैं। इस साल के नवरात्र पूरे 9 दिनों के हैं। न तो इस साल कोई नवरात्र कम हो रहे हैं और नहीं बढ़ रहे हैं। जो काफी शुभ माना जाता है।
नई दिल्ली। चैत्र नवरात्रि की आज से शुरूआत हो गई है और इसके साथ ही हिंदू नववर्ष भी शुरू हो गया है। आज पहला नवरात्र है और आज शैलपुत्री की पूजा अर्चना की जाती है। नवरात्र के शुरू होने के साथ ही घरों में कलश स्थापना की जाती है और अगले नौ दिन तक मां के विभिन्न रूपों का पूजा की जाती है। इस साल मां नौका में सवार होकर आएंगी।
चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा नौका पर सवार होकर आएंगी और ये बेहद शुभ माना जाता है और इसके साथ ही इस साल के नवरात्र में सर्वसिद्धि योग बन रहे हैं। इस साल के नवरात्र पूरे 9 दिनों के हैं। न तो इस साल कोई नवरात्र कम हो रहे हैं और नहीं बढ़ रहे हैं। जो काफी शुभ माना जाता है। शास्त्रों में कहा जाता है कि जब भी नवरात्र पूरे 9 दिनों की होती है तो उसमें शुभता और खुशहाली होती है और इससे जनकल्याण होता है। नवरात्र के साथ ही हिंदू नववर्ष की भी शुरूआत हो गयी है और आज से ही संवत 2077 शुरू हो गया है।
कलश स्थापना मुहूर्त
नवरात्र के शुरू होने के साथ ही आज कलश स्थापना की जाती है और आज 11:36 बजे से दोपहर 12:24 बजे तक शुभ मुहुर्त था। हिंदू नव वर्ष के साथ ही आज गुड़ी पड़वा और युगादी का भी त्योहार मनाया जाता है। ज्योतिषाचार्य जिज्ञासु के मुताबिक इस बार के चैत्र नवरात्रि में कई शुभ योग बन रहे हैं। जिससे सबका कल्याण होगा। इस बार चार सर्वाथ सिद्धि योग, पांच रवि योग और एक द्विपुष्कर और एक गुरु पुष्य योग बन रहा है।
मां शैलपुत्री की करें पूजा
नवरात्र के पहले दिन आज मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मां शैलपुत्री हिमालय की पुत्री हैं और इनका वाहन वृषभ है। इसके साथ ही मां शैलपुत्री को देवी वृषारूढ़ा भी कहा जाता है। मां शैलपुत्री के दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल सुशोभित है। मां शैलपुत्री को प्रथम दुर्गा भी कहा जाता है। शास्त्रों के मुताबिक मां शैलपुत्री सती के नाम से भी जानी जाती हैं।
ऐसे करें पूजा
नवरात्र के पहले दिन आज मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इससे पहले घरों में कलश स्थापना की जाती है और उसके बाद चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका (16 देवी), सप्त घृत मातृका(सात सिंदूर की बिंदी लगाये) की स्थापना भी की जाती है। मां शैलपुत्री को 16 श्रृंगार के साथ ही चंदन, रोली, हल्दी, बिल्वपत्र, फूल, दुर्वा, बिल्वपत्र अर्पित करें।