कुछ ऐसे हाथियों की जान बचा रहा है रेलवे

By Anshuman AnandFirst Published Sep 7, 2018, 4:29 PM IST
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पटरियों को पार करते वक्त हाथी ट्रेन से टकरा जाते हैं। इसे रोकने के लिए नॉर्थइस्ट फ्रंटियर रेलवे(NFR)ने 'Plan Bee'का इस्तेमाल शुरु किया। 

प्रकृति के पास हमारी हर मुश्किल का समाधान है। बस जरुरत है तो उस समाधान को तलाश करने की। भारतीय रेल इन दिनों इसी सूत्र पर काम कर रही है।
 
दरअसल भारतीय रेल पटरियों का बड़ा हिस्सा जंगलों के बीच से गुजरता है। इन घने जंगलों में रहने वाले हाथी अक्सर तेज गति से चलती हुई रेल का शिकार बन जाते हैं। 
इस समस्या के समाधान के लिए रेलवे ने ‘प्लान बी’ तैयार किया। इस ‘प्लान बी’ में ‘बी’ का मतलब है हनी-बी यानी मधुमक्खी, जिनसे हाथी बहुत डरते हैं और उनसे दूर रहना चाहते हैं। 

पटरियों को पार करते वक्त कई बार हाथी ट्रेन से टकरा जाते हैं, जिससे उनकी जान चली जाती है। इसे रोकने के लिए नॉर्थइस्ट फ्रंटियर रेलवे(NFR) ने पिछले साल से 'Plan Bee' का इस्तेमाल शुरु किया। 

इस प्लान के तहत रेल पटरियों के आस पास रेल पटरियों पर तेज आवाज करने वाले स्पीकर लगाए गए हैं। इन स्पीकरों से लगातार मधुमक्खियों की भिनभिनाहट की आवाज सुनाई देती है। जिसकी वजह से हाथी रेल पटरियों से दूर रहते हैं और उनकी जान बची रहती है। 

रेल मंत्री पीयूष गोयल ने रेलवे के 'प्लान बी'  की कामयाबी के बारे में जानकारी देते हुए हुए ट्विटर पर एक विडियो शेयर किया। इस ट्विट में उन्होंने लिखा, 'रेलवे ने हाथियों को ट्रेन हादसों से बचाने के लिए 'Plan Bee' के तहत रेलवे-क्रॉसिंग पर ऐसे ध्वनि यंत्र लगाए हैं जिनसे निकलने वाली मधुमक्खियों की आवाज से हाथी रेल पटरियों से दूर रहते हैं और ट्रेन हादसों की चपेट में आने से बचते हैं।' ध्वनि यंत्रों से मधुमक्खियों की भिनभिनाहट जैसी जो आवाज निकलती है, उसे हाथी 600 मीटर दूर से ही सुन सकते हैं। 

 

रेलवे ने हाथियों को ट्रेन हादसों से बचाने के लिए "Plan Bee" के तहत रेलवे-क्रासिंग पर ऐसे ध्वनि यंत्र लगाए हैं जिनसे निकलने वाली मधुमक्खियों की आवाज से हाथी रेल पटरियों से दूर रहते हैं और ट्रेन हादसों की चपेट में आने से बचते हैं। pic.twitter.com/VtEbv6LCgt

— Piyush Goyal (@PiyushGoyal)

 

‘प्लान बी’ की कामयाबी से पहले रेलवे ट्रैक पर हाथियों की मौत की घटनाएं बहुत बढ़ गई थीं।  
2014 से 2016 के दौरान रेलवे ट्रैक पर 35 हाथियों की मौत हुई 
और 2017 में जुलाई तक ऐसे हादसों में 5 हाथियों की मौत हुई थी। 
जबकि इस साल अप्रैल में ओडिशा के झरसुगड्डा जिले में 4 हाथी ट्रेन से टकरा गए थे, इन चारों हाथियों की मौके पर ही मौत हो गई थी। 

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