यूपी में नौ महीने से लेकर 15 साल तक के बच्चों को मीजल्स रुबेला टीकाकरण का अभियान चल रहा है। लेकिन राज्य में मुस्लिम समुदाय के लोग इसका विरोध कर रहे हैं। मदरसों में टीकाकर्मियों को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। मुस्लिम इलाकों में बच्चों को टीके लगवाने से परहेज भी किया जा रहा है।
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 9 महीने से 15 साल तक के आठ करोड़ बच्चों को गंभीर बीमारी मीजल्स रूबेला का टीका लगाने के अभियान की शुरुआत की। लेकिन राज्य में मुस्लिम समुदाय के विरोध की वजह से यह अभियान फेल होता हुआ दिख रहा है।
क्योंकि इस टीकाकरण अभियान को कई मुस्लिम इलाकों में विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
इस टीकाकरण अभियान के तहत सभी स्कूली बच्चों के नि:शुल्क टीकाकरण की व्यवस्था की गयी है। लेकिन मुस्लिम बहुल इलाकों और मदरसों में इसका विरोध किया जा रहा है। उदाहरण के तौर पर मेरठ के 272 में से कम से कम 70 मदरसों ने स्वास्थ्यकर्मियों को प्रवेश नहीं दिया। यही नहीं बहुत जगह बच्चों की उस दिन छुट्टी कर दी गई।
इसके लिए ह्वाट्सएप्प पर झूठी खबरें फैलाई जा रही हैं। जिसमें बताया जा रहा है कि टीकाकरण के कारण बच्चे की मृत्य हो गई या फिर आगे चल कर नपुंसकता आ जाएगी। टीकाकरण अभियान के दौरान पूरे यूपी में इस तरह के संदेशों की बाढ़ आ गई थी।
मेरठ की ही तरह मुस्लिम बहुत जिलों सहारनपुर, बिजनौर, अलीगढ़ में भी टीकाकरण का विरोध किया जा रहा है। इन सभी जगहों पर मुस्लिम मदरसों में टीकाकरण अभियान का सहयोग नहीं किया जा रहा है।
इस समस्या के निपटने के लिए प्रशासन मुस्लिम धर्मगुरुओं की मदद ले रहा है। इसके अलावा जामिया मिलिया इस्लामिया के विशेषज्ञ और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी विश्वविद्यालय में जवाहरलाल नेहरु मेडिकल कॉलेज के एक्सपर्ट्स से भी सहयोग लिया जा रहा है।
इन सभी संस्थानों में एक्सपर्ट्स मुस्लिम समुदाय के हैं। जिनकी बात मुसलमान मानते हैं। इसीलिए इनको आगे लाया गया है।
लेकिन इसका भी असर बहुत कम दिख रहा है। इससे पहले पल्स पोलियो अभियान का भी कुछ इसी तरह विरोध किया जा रहा था। तब भी बहुत से इलाकों में मुस्लिम परिवारों ने अपने बच्चों को पोलियो ड्रॉप पिलाने से मना कर दिया था।