बीते एक दशक से दुश्मन देशों की पनडुब्बियों की चुनौती से जूझ रही भारतीय सेना अब अमेरिका से दो दर्जन मल्टीरोल एमएच-60 रोमियो सीहॉक हेलीकॉप्टर खरीद रहा है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने जानकारी देते हुए कहा है कि ट्रंप प्रशासन भारत की जरूरतों को देखते हुए सीहॉक हेलीकॉप्टर बेचने के लिए तैयार है. समुद्री सुरक्षा के लिए बेहद अहम इस रोमियो सीहॉक हेलिकॉप्टर को खरीदने के लिए भारत 18 हजार करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर रहा है.
नई दिल्ली: नेवी की जरूरतों के हिसाब से इस खास मल्टी-मिशन हेलीकॉप्टर को अमेरिकी कंपनी सिकॉर्स्की ने तैयार किया है. इस हेलिकॉप्टर को नेवी में शामिल करने के साथ ही भारतीय नौसेना समुद्री सीमा में हवाई हमला और दुश्मन देशों की पनडुब्बियों को तबाह करने में सक्षम है. इसके अलावा इस हेलीकॉप्टर से नौसेना को युद्ध की स्थिति में रसद और हथियार पहुंचाने के साथ-साथ सर्च और रेस्क्यू मिशन के साथ-साथ अन्य युद्ध पोतों के साथ संवाद में बड़ी मदद मिलेगी.
अमेरिकी रक्षा एजेंसी का कहना है कि इस लड़ाकू हेलीकॉप्टर से भारत को क्षेत्रीय स्तर पर मिल रही चुनौतियों से लड़ने में मदद के साथ-साथ समुद्री सीमा में दुश्मनों को परास्त करने की क्षमता में बड़ा इजाफा होगा. अमेरिकी रक्षा एजेंसी ने जारी बयान में कहा है कि इस डील को अमेरिकी सरकार की मंजूरी भारत और अमेरिका के सामरिक रिश्तों को मजबूत करने के लिए दी गई है. इस हेलीकॉप्टर से लैस भारतीय नौसेना साउथ एशिया क्षेत्र और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में राजनीतिक स्थिरता, शांति और आर्थिक विकास के क्षेत्र में अहम योगदान कर सकती है.
इससे पहले मार्च में भारतीय वायु सेना ने अमेरिका से सीएच-47 एफ चिनूक हेलीकॉप्टर प्राप्त किए हैं. हालांकि 15 चिनूक हेलिकॉप्टर का सौदा अमेरिका और भारत के बीच सितंबर 2015 में कर लिया गया था. इस करार के तहत जहां मार्च में भारत को चार चिनूक हेलिकॉप्टर मिल चुके हैं वहीं बचे हुए 11 चिनूक हेलिकॉप्टर 2019 के दौरान वायु सेना को सौंप दिए जाएंगे.
गौरतलब है कि अमेरिका से चिनूक हेलिकॉप्टर खरीदने पर वायु सेना प्रमुख ने कहा था कि इस हेलिकॉप्टर की मदद से न सिर्फ भारतीय सेना को युद्ध के दौरान हथियारों के परिवहन में मदद मिलेगी बल्कि किसी आपदा के समय सैन्य अभियान को बखूबी चलाने की क्षमता मिल जाएगी.