इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे पर गुरुवार को बड़ा फैसला दिया है। HC ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि न्यायहित में ASI सर्वे आवश्यक है। इसे कुछ शर्तों के साथ लागू करने की जरुरत है।
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट (HC) ने ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे पर गुरुवार को बड़ा फैसला दिया है। HC ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि न्यायहित में ASI सर्वे आवश्यक है। इसे कुछ शर्तों के साथ लागू करने की जरुरत है। आपको बता दें कि इसके पहले मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में ASI सर्वे के फैसले को चैलेंज किया था। उसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में में ASI सर्वे को चुनौती देने वाली याचिका दाखिल की थी।
पाइंट्स में जानिए Gyanvapi ASI Survey Case के बारे में
जानिए आगे क्या होगा?
हिंदू पक्ष के वकील ने क्या कहा?
हिंदू पक्ष के वकील विष्णू शंकर जैन ने कहा है कि हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी है। ऐसे में जिला अदालत का फैसला लागू है और ASI सर्वे का काम शुरू होना चाहिए। हमने कहा है कि ज्ञानवापी परिसर को बिना नुकसान पहुंचाए सर्वे किया जाएगा। उनका कहना है कि सर्वे होना चाहिए ताकि सच सामने आए।
क्या है है पूरा विवाद?
5 महिलाओं ने अगस्त 2021 में वाराणसी कोर्ट में एक वाद दायर कर श्रृंगार गौरी मंदिर में डेली पूजा की अनुमति मांगी थी। श्रृंगार गौरी मंदिर ज्ञानवापी मस्जिद के बगल में है। महिलाओं की याचिका पर एडवोकेट सर्वे का आदेश हुआ। उस सर्वे में परिसर के वजूखाने में शिवलिंग मिलने का दावा किया गया था। हालांकि मुस्लिम पक्ष उसे फव्वारा बता रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ये हुआ
बहरहाल, विवादित स्थल को सेशन कोर्ट ने सील करने का आदेश दिया था। मुस्लिम पक्ष इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चला गया। सुप्रीम कोर्ट ने केस जिला जल को ट्रांसफर कर दिया। साथ ही वाद की पोषणीयता पर नियमित सुनवाई कर फैसला सुनाने का निर्देश भी दिया।
कोर्ट ने वाद सुनवाई योग्य माना
चूंकि मुस्लिम पक्ष ने तर्क दिया था कि उपासना स्थल कानून 1991 के प्रकाश में यह वाद पोषणीय नहीं है। लिहाजा इस पर सुनवाई नहीं हो सकती। पर कोर्ट ने इस वाद को सुनवाई योग्य माना
मई में 4 वादिनी महिलाओं ने की थी ये मांग
फिर 5 वादी महिलाओं में से 4 ने मई में एक एप्लीकेशन लेटर दाखिल किया। उसमें ज्ञानवापी परिसर के विवादित हिस्से को छोड़कर बाकि हिस्सों के एएसआई सर्वे की मांग की गई थी। उसी पर जिला अदालत ने एएसआई सर्वे कराने का फैसला दिया था।