प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राम मंदिर पर दिए गए बयान पर विश्व हिंदू परिषद ने असहमति जताई है। विहिप का कहना है कि हिंदू समाज सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार नहीं कर सकता है। सरकार को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए ससंद में कानून पारित करना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राम मंदिर पर दिए गए बयान पर विश्व हिंदू परिषद ने असहमति जताई है। विहिप का कहना है कि हिंदू समाज सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार नहीं कर सकता है। सरकार को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए ससंद में कानून पारित करना चाहिए।
विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि हिंदू समाज अनंतकाल तक कोर्ट के फैसले का इंतजार नहीं कर सकता है।
लिहाजा इसके लिए केन्द्र सरकार को अयोध्या में राम जन्मभूमि पर भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण के लिए ससंद में कानून पारित करना चाहिए। आलोक कुमार ने कहा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का राम जन्मभूमि संबंधित बयान हमने देखा है और यह मामला पिछले 69 सालों से चल रहा है और इसकी अपील सुप्रीम कोर्ट में 2011 से लंबित चल रहा है और प्रतीक्षा की यह एक लंबी अवधि है। उन्होंने कहा कि मामला गत 29 अक्टूबर को सुनवाई को आया था, लेकिन जिस बेंच को इसे सुना जाना था। तब तक उसका गठन नहीं हुआ था। उन्होंने कहा कि उसे माननीय मुख्य न्यायाधीश के पास ही सूचीबद्ध किया गया और इसके बाद त्वरित सुनवाई को नकारते हुए मामले को जनवरी 2019 प्रथम सप्ताह के लिए “सम्बन्धित पीठ द्वारा सुनवाई की तिथि तय करने” के लिए टाल दिया गया।
उन्होंने कहा कि पीठ का गठन अभी तक नहीं हुआ है और कुछ अपीलों की प्रकियाएं भी अभी बाक़ी हैं। लिहाजा सुनवाई अभी भी कोसों दूर नजर आ रही है। इसलिए सभी पहलुओं को ध्यान में रखने के बाद विश्व हिन्दू परिषद् का स्पष्ट मत है कि हिन्दू समाज से अनंत काल तक न्यायालय के निर्णय की प्रतीक्षा की अपेक्षा नहीं की जा सकती और इसका एक मात्र उचित समाधान यही है कि संसद द्वारा कानून बनाकर भगवान श्री राम की जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण किया जाए। उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राम मंदिर निर्माण के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अध्यादेश लाने के विचार को आरएसएस ने सकारात्मक कदम बताया था। संघ के सह सरकार्यवाहक दत्तात्रेय होसबले ने कहा है कि इस सरकार के कार्यकाल में सरकार वह वादा पूर्ण करें ऐसी भारत की जनता की अपेक्षा है। वहीं, आरएसएस और उससे जुड़े संगठनों सहित हिंदू संगठनों तथा भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टी शिवसेना राम मंदिर के शीघ्र निर्माण के लिए अध्यादेश लाने के पक्ष में है।